पं . श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ---- " आकर्षक व्यक्तित्व का निर्माण शक्ति और संवेदना के सम्मिश्रण से होता है l इन दोनों तत्वों का समन्वय जहाँ -जहाँ जितनी भी मात्र में होगा , वहां पर उसी के अनुरूप व्यक्तित्व आकर्षक और चुंबकीय होता चला जायेगा l संवेदना विहीन अकेली शक्ति व्यक्ति को अहंकारी और निष्ठुर बना देती है और व्यक्ति यदि केवल संवेदनशील है उसमें द्रढ़ता व शक्ति नहीं है तो लोग उसे 'बेचारा और दया का पात्र ' समझते हैं l इसलिए अपने व्यक्तित्व को आकर्षक बनाने के लिए अपनी शक्ति व क्षमताओं को संवेदनाओं से युक्त कीजिए l ' आचार्य श्री आगे लिखते हैं --- 'सद्गुणों से और श्रेष्ठ विचारों से व्यक्ति मानसिक स्तर पर क्षमतावान बनता है l दुर्गुणी जनों को भी आकर्षक बनने के लिए सद्गुणों की कलई चढ़ानी पड़ती है लेकिन यह कलई उतरते ही उनकी बड़ी फजीहत होती है l "
No comments:
Post a Comment