इस युग की सबसे बड़ी समस्या दुर्बुद्धि की है l मनुष्य स्वस्थ रहे , सुखी रहे , इसके लिए विभिन्न तरह की चिकित्सा पद्धति हैं लेकिन फिर भी मनुष्य स्वस्थ नहीं है l बड़े - छोटे , सस्ते - महँगे हर तरह के अस्पताल बीमार लोगों से भरे हैं l जिसके पास सब सुख -सुविधा है , वह भी पूर्ण स्वस्थ नहीं है l इसका कारण हमारे ऋषियों ने बताया --' ओषधियां तो व्याधियों की रोकथाम भर करती हैं , मन के पतन पर उनका नियंत्रण नहीं है l जब मनुष्य का मन अधर्मरत होकर विपत्तियों को आमंत्रित करेगा , तब मनुष्य के हाथ में उपचार का अमृत कलश भी हो तब भी वह रोगी होगा l ' दुर्बुद्धि के कारण ही आज मनुष्य पांचो तत्वों को , सम्पूर्ण प्रकृति को प्रदूषित कर रहा है और स्वयं आत्महत्या की ओर बढ़ रहा है l ऋषि पुनर्वसु कहते हैं ---- " बुद्धि विपर्यय मनुष्य का सबसे बड़ा दुर्भाग्य है l बुद्धि के भ्रमित और पतित होने पर मनुष्य जो करने योग्य काम है उसका परित्याग कर देता है और न करने योग्य काम को करने की प्रवृत्ति बढ़ती है l इससे न केवल शारीरिक व्याधियां बढ़ती हैं , वरन हर दिशा से विपत्तियाँ बरसती हैं l इसलिए शारीरिक व्याधियों के निवारण हेतु मानसिक व्याधियों का समाधान अधिक आवश्यक और प्राथमिकता देने योग्य है l "
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