पं . श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ---- " सद्विचार और सत्कर्मों का जोड़ होना बहुत आवश्यक है l विचारों की शक्ति जब तक कर्म में अभिव्यक्त नहीं होती उसका पूरा लाभ नहीं होता l ' वर्तमान युग कलियुग इसी लिए है कि यहाँ सद्विचार और सत्कर्म का जोड़ नहीं है l लोग बहुत आदर्श की बात करते हैं लेकिन उनका वैसा आचरण नहीं है इसलिए जनता उनसे प्रभावित नहीं होती , उनकी चेतना में विचारों में कोई परिवर्तन नहीं होता l एक नशा करने वाला अपने साथ सैकड़ों नशेड़ी जोड़ लेता है क्योंकि पहले वह स्वयं नशा करता है , उसके बाद ही दूसरों को नशा करने के लिए प्रेरित करता है l वह जो कहता है , वैसा ही स्वयं भी करता है इसलिए वह अनेकों को अपने साथ जोड़ लेता है l
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