1 March 2013

'सच्चा सौंदर्य तो आत्मा का होता है '| सद्गुण ,श्रेष्ठ विचार और सद्व्यवहार से ही व्यक्तित्व आकर्षक बनता है |
शरीर और आत्मा में परस्पर संवाद चल रहा था | शरीर ने कहा -"मैं कितना सुंदर हूं ,आकर्षक व बलवान हूं | "आत्मा बोली -तुम अपनी अपेक्षा मुझे अधिक सुंदर ,आकर्षक और बलवान बना दो ,तुम्हारी ये विशेषताएँ मेरे सुंदर हुए बिना क्षणिक ही हैं | मुझे सुंदर बनाकर तुम भी शाश्वत सौंदर्य से युक्त हो जाओगे | किंतु शरीर को समझ में कुछ न आया | वह सांसारिक आकर्षणों में उलझा रहा ,जीवन समाप्त करता रहा | शरीर से आत्मा के विच्छेद का समय आ पहुंचा ,अब शरीर को ज्ञात हुआ कि यदि आत्मा को भी उसने सुंदर बनाया होता ,शक्ति दी होती तो उसका स्वरुप भी निखर गया होता -मरने के बाद भी उसे याद किया जाता | चलते समय आत्मा बोली -मैं तो जाती हूं | यदि तुम पहले से चेते होते .प्राप्त अधिकार का सदुपयोग कर अपने मन को ,आत्मा को सुंदर बनाते तो अमर हो जाते ,महामानव कहलाते | शरीर सिर धुनता रहा और विदा हो गई आत्मा नया शरीर पाने को |

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