22 March 2013

'उस धन से क्या लाभ ,जो याचक को नहीं दिया जाता ,उस बल से क्या ,जो शत्रु को रोक न सके ,उस ज्ञान से क्या ,जो आचरण में न आ सके और उस आत्मा (व्यक्ति )से क्या जो जितेंद्रिय से न बन सके | '
प्रसिद्ध उपन्यासकार डॉ.क्रोनिन बड़े गरीब थे | डाक्टर बनकर वे धनवान हो गये और उनका मन धन संचय करने में पड़ गया | उनकी पत्नी ने कहा ,"हम गरीब ही ठीक थे ,कम से कम दिल में दया तो थी ,अब उसे खोकर कंगाल हो गये | "डॉ
.क्रोनिन ने कहा ,"सच है ,धनी धन  से नहीं मन से होते हैं | तुमने मुझे सही राह दिखाई ,नहीं तो हम ऐसी स्थिति में पहुंच जाते ,जहां परस्पर स्नेह के सूत्र भी कमजोर पड़ने लगते | "

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