23 March 2013

गायत्री मन्त्र
गायत्री विद्दा ही प्राण विद्दा है | 24 अक्षरों वाले गायत्री महामंत्र में प्राण विद्दा का समस्त विज्ञान -विधान निहित है | सूर्य ही समस्त स्रष्टि के प्राणों का आदि स्रोत है | सभी जीवधारी ,वृक्ष -वन


 स्पति इसी से प्राणों का अनुदान पाते हैं | इसी की प्रचंड ऊर्जा प्रखर प्राण चेतना बनकर समूचे ब्रह्मांड में संव्याप्त रहती  है और गायत्री महामंत्र के उपास्य ही सविता देव हैं | गायत्री महामंत्र ही स्रष्टि एवं जीवन का सार है | गायत्री महामंत्र का जप एवं सवि        

ता देव का ध्यानही प्राण को सुपुष्ट ,मन को सतेज ,इंद्रियों को सचेतन ,ह्रदय को पवित्र एवं जीवन को बलवान बनाता है |


    

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