3 March 2013

अहंकार सारी अच्छाइयों का द्वार बंद कर देता है |
रावण परम शिव भक्त था .वेद और शास्त्र का ज्ञाता ,प्रकाण्ड पंडित ,महाशक्तिशाली था लेकिन वह अहंकारी था | रावण मायावी था ,रुप बदल लेता था | एक भिक्षुक का वेश धारण कर उसने सीता हरण तो कर लिया पर निरंतर लंका में अशोक वन में सीताजी से प्रार्थना ही करता रहा कि तुम मेरी पटरानी बन जाओ ,मंदोदरी तुम्हारी सेवा करेगी | सलाहकारों ने कहा -"आपके पास तो ढेरों विद्द्या हैं ,एक दिन राम बनकर चले जाओ और कहो कि मैं तुम्हें छुड़ाने आया हूं | "रावण ने कहा -"ऐसा नहीं है कि मैंने कोशिश नहीं की | मैं राम बना ,पर उसके बाद परनारी का विचार तक नहीं आया | यह काम तो रावण बनकर ही संभव है | "
बुरे काम करना है ,आसुरी कर्म करना है तो रावण ही बनना होगा | यदि राम बनने का अभ्यास किया जाये तो ऐसी दयनीय स्थिति नहीं होगी |

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