27 April 2013

AS YOU SOW YOU WILL REAP

बहुत वर्ष पूर्व की बात है ,मथुरा नगरी में धनासुर नाम का धनी व्यक्ति रहता था | सब सुख -सुविधाएं होते हुए भी वह बहुत कंजूस था | एक दिन उसे समाचार मिला कि व्यापार को निकला उसका जहाज समुद्र में डूब गया | उसके अगले दिन ही उसके गोदामों में आग लग गई ,वह इन शोक समाचारों से उबर भी नहीं पाया था कि महल में चोरी हो गई उसका सारा खजाना लूट लिया गया | अचानक सम्पन्नता के छिन जाने से उसकी मानसिक स्थिति बिगड़ गई और वह नगर की गलियों में विक्षिप्त की भांति घूमने लगा |
                                     ऐसी दशा में घूमते -घूमते उसकी भेंट मुनि धम्म कुमार से हुई | उनके मुख पर एक गंभीर शांति एवं धैर्य था | धनासुर ने मुनि से पूछा -"मुनिवर !मुझे बताएं कि किन कर्मों के कारण मैं इतने अकूत धन का स्वामी बना और किन कर्मों के कारण मैं इस स्थिति को प्राप्त हुआ | मुनि बोले -वत्स !वर्षों पूर्व अंबिका नगरी में दो भाई रहा करते थे | बड़ा भाई धर्म ,दान ,पुण्य के मार्ग पर चलता था और छोटा भाई सदैव अधर्म ,अनाचार का पथ अपनाता | निरंतर दान करने के बाद भी बड़े भाई की धन -संपदा में वृद्धि होती गई ,जबकि अनाचार और लोलुपता के पथ पर चलने वाले छोटे भाई का व्यापर यथावत बना रहा | ईर्ष्या वश छोटे भाई ने बड़े भाई की हत्या करा दी | कालांतर में छोटे भाई का जन्म एक धनी परिवार में असुर संस्कारों के साथ हुआ | वो छोटे भाई तुम ही हो ,जो अपने पूर्व जन्म के पापों का दंड भुगत रहे हो | "
             धनासुर ने पूछा -"मेरे बड़े भाई का क्या हुआ ?"मुनि हँसे और बोले -"तुम अभी उनसे ही बात कर रहे हो | "यह सुनते ही धनासुर का ह्रदय परिवर्तन हो गया और वो धम्म कुमार से दीक्षा लेकर भिक्षु बन गया | 

No comments:

Post a Comment