3 June 2013

'जिसके जीने के कारण अन्य बहुत से प्राणी जीवन पाते हैं ,वही मनुष्य जीवित माना जाता है | अन्यथा कौआ भी अपनी चोंच से ही अपना पेट भर लेता है | जो अपने लिये जीता है ,उसका जीवन भी कोई जीवन है | '

    'जो उदारता पूर्वक सबके हित की बात सोचता है ,वही मनुष्य श्रेय का अधिकारी हो सकता है | '

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