27 June 2013

WIT

'दुनिया क्या कहेगी ? इस प्रश्न को ध्यान में रखने का नाम कौशल है |  भगवान क्या कहेंगे ? इस प्रश्न को आगे रखकर चलने का नाम कर्तव्य है | '
एक विद्वान अपने कुत्ते के साथ भ्रमण को निकले | सामने से एक व्यक्ति आ रहा था ,जो उनकी विद्वता से जलता -कुढ़ता था | उसने उनको अपमानित करने की द्रष्टि से उनसे पूछा -"आप दोनों महानुभावों में श्रेष्ठ कौन है ?"
             विद्वान् बिना बुरा मानते हुए बोले -"मित्र !यदि मैं इस सुर दुर्लभ मानवीय काया का सदुपयोग करते हुए श्रेष्ठ कर्म करूं ,तो मैं श्रेष्ठ हुआ और यदि मैं अपने सच्चे स्वरुप का ध्यान न रखते हुए जानवरों जैसे कर्म करूं ,दूसरों के साथ दुर्व्यवहार करूं तो मुझसे और मुझ जैसे अनेक नर -पशुओं से कहीं ज्यादा ये कुत्ता श्रेष्ठ है |     प्रश्न करने वाले व्यक्ति का सिर ,यह उत्तर सुनकर लज्जा से झुक गया |

    'सम्मान की पूंजी देने पर मिलती है ,बाँटने पर बढ़ती है और बटोरने पर समाप्त हो जाती है | '

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