23 July 2018

वीर - शिरोमणि ---- चंद्रशेखर आजाद

 ' चरित्र  मनुष्य  की  श्रेष्ठता  का  बहुत  बड़ा  प्रमाण  है  ,  सच्चाई , ईमानदारी ,  नैतिकता  आदि  भी  चरित्र  के  ही  अंग  हैं  l '  उनके  चरित्र  लेखक  वैशम्पायन  ने  लिखा  है  --- '  आजाद  के  जीवन  का  सबसे  बड़ा  संबल  था  उनका  चरित्र  l  इसको  उन्होंने  सदा   महत्व   दिया  l  और  इस  धारणा  पर  जीवन  के  अंत  तक  द्रढ़  रहे   l  '   एक  घटना  का  जिक्र  करते  हुए  उन्होंने  लिखा  है --- ' जिन  दिनों  आजाद   रेलवे  लाइन  की  गुमटी  पर  रहते   थे  ,  उनके  सामने  भीषण  आर्थिक  संकट  था  ,  कई  दिन  केवल  एक  समय  चना  खाकर  गुजारा  कर  लेते  थे   l  एक  दिन  उनके  पास  केवल  एक  आना  था  ,  दूसरे  दिन  की  चिंता  थी   लेकिन  आज  की  भूख  की  समस्या  हल  करने  के  लिए  एक  आने  के  चने  ले  आये   l  खाते - खाते  जब  आखिरी  मुट्ठी  भरी  तो  देखा  उसमे  इकन्नी  थी  l  उन्हें  ध्यान  आया   कि  यह  उस  गरीब  चने  वाले  की  गाढ़ी  कमाई  का  हिस्सा  है  इस  पर  मेरा  कोई  अधिकार  नहीं  है  l  तुरंत  गए  और  दुकानदार  को  यह  कहकर  इकन्नी  लौटा  दी  कि  तुमने  मुझे  जो  चने  दिए  उसमे  यह  इकन्नी  आ  गई  थी  l    कल  की  भूख  प्रश्न चिन्ह  बनी   रही   l  '
  वैशम्पायन  ने  एक  और  घटना  का  उल्लेख  किया  है ---- '   एक  बार  आजाद  को  किसी  को  मारने  के  लिए  उनके  दल  के  लिए  बहुत  अधिक  धन  का  लालच  दिया  गया  ,  तब  आजाद  ने  उनको  स्पष्ट  शब्दों  में  समझाया   कि--- ' ऐसा  करना  अनुचित  है   l   देश  की  स्वतंत्रता  के  महान  लक्ष्य  को  सामने  रखकर   मजबूरी  में  किसी  को  मारना  और  बात  है   और  जानबूझ  कर  हत्या  करना  दूसरी  बात  है   l   हमारा  क्रांतिकारियों  का  दल  है , हत्यारों  का  नहीं  l  पास  में  पैसे  हों  या  न  हों  ,  हम  भूखे  रहकर   फांसी  पर  भले  ही  लटक  जाएँ  ,  पर  पैसे  के  लिए  ऐसा  घ्रणित  कार्य   नहीं  कर  सकते  l  यह  सब  हमारे  सिद्धांतों  के  प्रतिकूल  है   l '
 आजाद  मानवता  में   बड़ी   श्रद्धा  रखते  थे   और  अकारण  मानव - रक्त  बहाना  निंदनीय  समझते  थे  l  केवल    राष्ट्रोद्धार  के  महान  आदर्श  के  लिए  ही   वे  ऐसा  कोई  काम  करने  को  तैयार  होते  थे  l  

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