28 February 2019

WISDOM ----- काल सर्वोपरि है ---

  भगवान  श्रीकृष्ण   ने  कुरुक्षेत्र  में   अपने   विराट  और   विश्वरूप  को  दिखलाते  हुए    स्वयं  को  संहारकारी  काल  के  रूप  में  घोषित  किया  है   l  काल  का  प्रवाह  प्रचंड  होता  है   l  इस  संसार  में  हर  व्यक्ति  की  अपनी  भूमिका  होती  है   l  बुद्धिमत्ता  तो  यही  है  काम  पूरा  होते  ही  उससे  विदा  ले  लेनी  चाहिए   l  काम  के  बाद  एक  पल  भी  ठहरना  अच्छा  नहीं  है   l  विवेकानंद  कहते  थे  --- " माँ  का  काम  करने  के  बाद  मैं  यहाँ  एक  क्षण  भी  ठहरना  नहीं  चाहता  l  "  उनका  काम  पूरा  होते  ही  वे  इस धरती  से  विदा  हो  गए  l 
         फ्रांस  की  राज्य  क्रांति  में   नेपोलियन   सहित    चार  प्रमुख  व्यक्तियों  का  योगदान  था   l  नेपोलियन  के  आलावा   अन्य   तीनो  जनसामान्य  के  रूप  में  प्रकट  हुए   और  अपना काम  करके  विदा  हो  गए  l    इतिहास  के  अनुसार  नेपोलियन  ने  अनेक  महान  कार्य  किए    लेकिन   वह   अहंकारी  था   l  इस अहंकार  के  कारण  महान  कार्य  करने  वाले  भी   एक  दिन  नष्ट  हो  जाते  हैं   l   फ्रान्स  की  राज्य  क्रांति काल की अभिव्यक्ति  थी   l    जो  लोग    स्वयं  को  भगवान  का  यंत्र  मानकर  कार्य  करते  हैं  ,  अपनी  सफलता  का  सारा   श्रेय    भगवान  को  देते  हैं  ,  समाज  में  उन्ही  की  प्रतिष्ठा  होती  है   l  लेकिन  जो  अहंकारी  हैं  , स्वयं  पर  गर्व  करते  हैं   कि  महान  घटनाओं  के  जन्मदाता  वही  हैं  ,  वे  बड़ी  भ्रान्ति  में  रहते  हैं   l  अहंकार  के  कारण  वे  काल  की  गहरी  खाई  में  जा  गिरते  हैं   l    नेपोलियन    के  कार्य  इतिहास प्रसिद्ध  हैं  किन्तु  उसका  अवसान  अत्यंत  दर्दनाक   हुआ   l   

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