इस संसार में शुरू से ही अंधकार और प्रकाश में संघर्ष रहा है और जब भी अंधकार या दुष्प्रवृतियों की अधिकता रही है तब संसार में अत्याचार , अन्याय और भीषण नर - संहार के दृश्य दिखाई दिए हैं l आदिकाल से देखें तो रावण इतना विद्वान् था , उसकी सोने की लंका थी लेकिन राक्षसी प्रवृति की वजह से वह राक्षसों को विभिन्न क्षेत्रों में भेजता था , जहाँ वे उत्पात मचाते थे , निर्दोष लोगों का वध करते और ऋषियों के यज्ञ , हवन आदि को अपवित्र करते थे l इस कारण सारे धार्मिक कृत्य बंद हो गए थे l राक्षसों के अत्याचार इतने बढ़ गए थे कि सामान्य जन का जीना मुश्किल हो गया था l
वर्तमान स्थिति कुछ इसी तरह है , सभी धार्मिक स्थल बंद हो गए , लोग भयभीत हैं , घरों में बंद हैं l तब भी राक्षस मायावी थे , अदृश्य होकर सबको सताते थे और अब भी अदृश्य हैं l उस समय यह स्पष्ट अवश्य था कि वे राक्षस रावण के भेजे हुए थे लेकिन अब विज्ञान ने उसे भी अदृश्य कर दिया l
अत्याचार और अन्याय के कारण ही संसार के विभिन्न देशों में क्रान्ति हुई , दो विश्व युद्ध हुए l ऐसा लगता है कि लोगों को शारीरिक और मानसिक रूप से उत्पीड़ित करना , उन्हें बेमौत मारना राक्षसी प्रवृति के लोगों का मनोरंजन का साधन है क्योंकि ये उत्पात कभी खत्म नहीं हुए समय - समय पर विभिन्न रूपों में वे अपनी शक्ति का प्रद्रशन कर देते हैं l
यह सिलसिला तभी थमेगा जब लोगों की चेतना जाग्रत होगी , लोग जागरूक होंगे l आज के समय में बुद्धि और विवेक से ही दुश्मन को पराजित किया जा सकता है l
वर्तमान स्थिति कुछ इसी तरह है , सभी धार्मिक स्थल बंद हो गए , लोग भयभीत हैं , घरों में बंद हैं l तब भी राक्षस मायावी थे , अदृश्य होकर सबको सताते थे और अब भी अदृश्य हैं l उस समय यह स्पष्ट अवश्य था कि वे राक्षस रावण के भेजे हुए थे लेकिन अब विज्ञान ने उसे भी अदृश्य कर दिया l
अत्याचार और अन्याय के कारण ही संसार के विभिन्न देशों में क्रान्ति हुई , दो विश्व युद्ध हुए l ऐसा लगता है कि लोगों को शारीरिक और मानसिक रूप से उत्पीड़ित करना , उन्हें बेमौत मारना राक्षसी प्रवृति के लोगों का मनोरंजन का साधन है क्योंकि ये उत्पात कभी खत्म नहीं हुए समय - समय पर विभिन्न रूपों में वे अपनी शक्ति का प्रद्रशन कर देते हैं l
यह सिलसिला तभी थमेगा जब लोगों की चेतना जाग्रत होगी , लोग जागरूक होंगे l आज के समय में बुद्धि और विवेक से ही दुश्मन को पराजित किया जा सकता है l
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