6 January 2021

WISDOM ---- इनसान का मूल्य

  दुनिया  के  कट्टर  और  खूँखार   बादशाहों  में  तैमूरलंग  का  नाम  आता  है  l व्यक्तिगत  महत्वाकांक्षा , अहंकार  और  जवाहरात  की  तृष्णा   से  पीड़ित  तैमूर  ने   एक  विशाल  भू - भाग  को  रौंद   कर  रख  दिया   l   बगदाद   में  उसने    एक  लाख  मरे  हुए  व्यक्तियों   की  खोपड़ियों  का  पहाड़  खड़ा  कराया  था  l   एक  बार  बहुत  से  गुलाम   पकड़कर  उसके  सामने   लाए   गए   l   तुर्किस्तान  का  विख्यात  कवि  अहमदी  भी  दुर्भाग्य  से  पकड़ा  गया  l   जब  वह  तैमूर  के  सामने  उपस्थित  हुआ  तो   एक  विद्रूप  - सी  हँसी   हँसते  हुए   तैमूर  ने  दो  गुलामों  की  ओर   इशारा  करते  हुए   पूछा  ---- "सुना  है  कवि   बड़े  पारखी  होते  हैं  ,  बता  सकते  हो   कि   इनकी  कीमत  क्या  होगी   ? "   अहमदी  ने  कहा ---- " इनमें  से  कोई  भी   चार  हजार   अशर्फियों  से  कम   कीमत  का  नहीं  है  l  "  तैमूर  ने  अभिमान  से  पूछा  ---- '  मेरी  कीमत  क्या  होगी  ? "   निडर भाव  से  अहमदी  ने  उत्तर  दिया  ---- " यही  कोई   24   अशरफी  l "  तैमूर  क्रोध  से  आगबबूला  हो  गया  l   वह  चिल्लाकर  बोला  ----- " बदमाश  !  इतने  में  तो  मेरी  सदरी  भी  नहीं  बन  सकती  l   तू  यह  कैसे  कह  सकता  है   कि   मेरा  कुल  मूल्य    24  अशरफी   है  ? '  अहमदी  ने  बिना  किसी  आवेश  के  उत्तर  दिया  --- "  बस  ,  यह  कीमत  उस  सदरी  की  है  l   आपकी  तो  कुछ  नहीं  l  जो  मनुष्य  पीड़ितों  की   सेवा   नहीं  कर  सकता  ,  बड़ा  होकर  छोटों  की  रक्षा  नहीं  कर  सकता  ,  असहायों  की ,  अनाथों  की   जो  सेवा  नहीं  कर  सकता  ,  मनुष्यता  से  बढ़कर   जिसे  अहमियत  प्यारी  हो  --- उस  इनसान   का  मूल्य  चार  कौड़ी  भी  नहीं  है  ,  उससे  अच्छे  तो  ये  गुलाम  हैं  ,  जो  किसी  के  काम  तो  आते  हैं   l  "  तैमूर  ने   अहमदी  को  मृत्युदंड  देकर    एक  बार  फिर  अपने  क्रूर   होने  का  परिचय  दिया   l 

No comments:

Post a Comment