6 January 2021

WISDOM ----

 पवहारी  बाबा  एक  महान  संत  थे  l   स्वामी  विवेकानंद  अपने  भ्रमण  के  दिनों  में  उनसे  मिले  थे   और  उनके  प्रति  गहन  श्रद्धा  का  भाव  रखते  थे  l  बाबा  एक  बार  आधी  रात  के  समय  ध्यान  कर  रहे  थे  ,  उसी  समय  चोर  उनकी  कुटिया  में  घुसा  l   धातु  के  कुछ  बर्तन  ,   एक कम्बल  और  कुछ  कपड़े   ही  बाबा  की   कुल  जमा - पूंजी  थी  l   चोर  ने  बरतनों   को  उठाया   और  जल्दी  से  जल्दी  वहां  से  निकल  भागने  का  प्रयास   करने  लगा  l   जल्दबाजी  में  चोर  के  हाथ  का  एक  बरतन   कुटिया  की  दीवार  से  टकरा  गया   और  आवाज  सुनकर  बाबाजी  उठ  गए  l   यह  देख  वह  चोर  घनी  झाड़ियों  से  होकर  भागने  लगा  l   बाबा  अपने  आसान  से  उठे  l   उन्होंने  कम्बल  और  कुछ  वस्त्रों  को  हाथ  में  उठाया  और  चोर  के  पीछे  भागने  लगे  l   काफी  दूर  पीछा  करने  के  बाद  आख़िरकार  उन्होंने   चोर  को  पकड़  ही  लिया  l   चोर  भय  से  काँप  रहा  था  l   लेकिन  बाबा जी  ने  चोर  को  पुलिस  के  हवाले  नहीं  किया  ,  बल्कि  वे  चोर  के  चरणों  में  गिर  पड़े    और  हाथ  जोड़  कर  आँखों  में  आँसू   भरकर  बोले  --- " प्रभु  !  आप  चोर  के  वेश  में  कुटिया  में  पधारे  ,  पर  आपने  कुछ  चीजें  छोड़  दीं  l   कृपया  इन्हें  भी  अपने  साथ  ले  जाएँ  l  "  चोर  भावविभोर  हो  गया  l   संत  के  बारंबार   आग्रह  पर  उसे   वे  वस्तुएं  स्वीकार  करनी  पड़ीं  l   संत  ने  एक  अपराधी  में  भी  ईश्वरतत्व  को  देखा  l   वह  चोर  भी  संत  के  व्यवहार  से  इतना  प्रभावित  हुआ   की  वह  आगे  चलकर  स्वयं  एक  अच्छे  इनसान   में  बदल  गया   l   संत  कबीर  ने  ठीक  ही  कहा  है  ---- कबीर  सोई   दिन  भला  ,  जा  दिन  साधु  मिलाय  l   सच्चा  संत  मिल  जाये  तो  व्यक्ति  का  कल्याण  हो  जाये   l 

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