1 May 2024

WISDOM -------

  1 . राहगीर  ने  राह  में  गड़े  मील  के  पत्थर  की  ओर  देखा   और  ताना  दिया  ---- " भला  तुम्हारा  जीवन  भी  कोई  जीवन  है  , जो  एक  ही  जगह  स्थिर  है   l  मुझे  देखो  , मैं  सारी  दुनिया  के  भ्रमण  का  आनंद  लेता  हूँ और  तुम  हो  कि   एक  जगह  गड़  गए   तो  हिलने  का  नाम   नहीं  लेते  हो  l "  मील  का  पत्थर  हँसा  और  बोला  ------ " मित्र  !  पेंडुलम  हिलता -डुलता  तो  बहुत  है  , पर  पहुँचता  कहीं  नहीं  ,  वैसे  ही   उदेश्यहीन  भ्रमण  किसी  काम  का  नहीं  l  मैं  एक  उदेश्य  के  लिए  समर्पित  हूँ   और इसलिए  दूसरों  को  दिशा  दे  पाता  हूँ  ,  चाहे  स्वयं  कहीं  न  जाऊं  l  " 

2 .  महर्षि  जावालि  ने  पर्वत  पर  ब्रह्म कमल   खिला  देखा  l  शोभा  और  सुगंध  पर  मुग्ध  होकर   ऋषि  सोचने  लगे   कि  उसे   देवता  के  चरणों   में  चढ़ने  का  सौभाग्य  प्रदान  किया  जाये  l  ऋषि  को  समीप  आया  देख   पुष्प  प्रसन्न  तो  हुआ  , पर  साथ  ही  आश्चर्य  व्यक्त  करते  हुए   आगमन  का  कारण  भी  पूछा  l  जावालि  बोले --- " तुम्हे  देव  -सामीप्य  का   श्रेय  देने  की  इच्छा  हुई   तो  तोड़ने  आ  पहुंचा  l "  पुष्प  की  प्रसन्नता  खिन्नता  में  बदल  गई  l   महर्षि  ने  उदासी  का  कारण  पूछा   तो  फूल  ने  कहा ---- " देव -सामीप्य  का  लोभ  संवरण  न  कर  सकने  वाले   कम  नहीं  है  l  फिर  देवता  को  पुष्प  जैसी  तुच्छ  वस्तु  की  न  तो  कमी  है   और  न  इच्छा  l  ऐसी  दशा  में  यदि  मैं  तितलियों -मधुमक्खियों   जैसे  क्षुद्र   कीटकों   की  कुछ  सहायता  - सेवा  करता   रहता  , तो  क्या  बुरा  था  l  आखिर  इस  क्षेत्र  को   भी  तो  खाद   की  आवश्यकता   होती  , जहाँ  मैं  उगा  और  बढ़ा  l "     ऋषि  ने  पुष्प  की  भाव -गरिमा  को  समझा   और  वे   उसकी  प्रशंसा  करते  हुए   उसे   यथा स्थान  छोड़कर  वापस  लौट  आए  l  

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