19 May 2024

WISDOM -----

   श्री रामकृष्ण  परमहंस  कहते  हैं ---- भक्त  तीन  तरह  के  होते  हैं  l  एक  तमोगुणी  भक्त  , जो  आज  बहुतायत  में  पाए  जाते  हैं  l चिल्लाकर  भगवन  का  नाम  लिया  , जप  भी  किया  लेकिन  फिर  सस्ते  मजाक  किए , ठहाके  लगाए , मनोरंजन  और  खान -पान  में  दिन  गुजार  दिया  l  एक  रजोगुणी  भक्त ---- बहुत  सारे  पूजा - उपचार , कर्मकांड  करता  है  , दिखाता  भी  है , खरच  भी  करता  है   पर  जीवन  में  अध्यात्म  कम  ही  है  l     सतोगुणी  भक्त  सबसे  ऊँचा  है  l  वे  ढेरों  अच्छे  काम  करते  हैं  ,  पर  उनका  दंभ  जरा  भी  नहीं  करते  l  ढेरों  पारमार्थिक  कार्यों  में  उनकी  भागीदारी  है  ,  पर  उनका  उन्हें  अहं  नहीं  है  ,  वे  उसके  बदले  में  कुछ  चाहते  नहीं  हैं  l  वे  तो  मात्र  प्रभु  के  विनम्र  भक्त   बने  रहना  चाहते  हैं  l  '                 ऐसे  सात्विक  भक्त  ईश्वर  के  प्रति  पूर्ण  रूप  से  समर्पित  होते  हैं  l   अपने  किसी  भी  सुख  के  लिए  वे  संसार  पर  आश्रित  नहीं  होते  ,  उनके  लिए  ' परमात्मा  पर्याप्त  है  l '    ईश्वर  के  प्रति  यह  विश्वास   हर  प्रकार  के  तनाव  को  समाप्त  कर  देता  है  ,  व्यक्ति  अंदर  से  संतुष्ट  और  आनंद  में  रहता  है  l  ------- एक  कथा  है --- किसी   चारण  ने  सम्राट  की  बहुत  तारीफ  की  l  उसकी  प्रशंसाओं  से  सम्राट  बहुत  प्रसन्न  हुए   और  उस  चारण  को  सोने  की  बहुत  सी   मुहरें  भेंट  की  l   उस  चारण  ने  उन  मुहरों  पर  निगाह  डाली    तो  अचानक  से  उसकी  चेतना  जाग  गई  ,  उसने  ईश्वर  को  धन्यवाद  दिया   , वे  मुहरें  फेंक  दीं  और  नाचने  लगा  l  अब  वह  चारण  न  रहा , संत  हो  गया  l  अब  उसकी  चेतना   में  कोई  कामना  न  थी   l  कामना  , प्रार्थना  में  परिवर्तित  हो  गई   l  बहुत  वर्षों  बाद  किसी  ने  उससे  पूछा  --- ऐसा  क्या  था   उन  मुहरों  में  , क्या  वे  जादुई  थीं  ?   संत  ने  कहा ---- वे  मुहरें  जादुई  नहीं  थी  , उन  पर  लिखे  वाक्य  ने  मेरी  चेतना  को  झकझोर  दिया  , वह  वाक्य  था ---- ' जीवन  की  सभी  आवश्यकताओं  के  लिए   परमात्मा  पर्याप्त  है   l '     जो  इस  सत्य  को  समझ  जाते  हैं   उनके  पास  सब  कुछ  है , सारा  ऐश्वर्य  है  l  

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