इस धरती पर समय -समय पर अनेक महान आत्माओं ने शांति और अहिंसा का सन्देश दिया लेकिन शांति आई ही नहीं हर तरफ युद्ध , दंगे , उन्माद है l इन्सान का इन्सान और इंसानियत पर से भरोसा उठ गया है l इसका एक कारण यह भी है कि शांति का उपदेश देने वाले और उन उपदेशों के अनुसार आचरण करने के लिए नियम , कानून बनाने वालों में बहुत दूरी थी , कोई तालमेल नहीं था l एक ओर त्याग था तो दूसरी ओर स्वार्थ और महत्वाकांक्षा थी l परस्पर संतुलन नहीं था इसलिए उन महान शांति दूतों के सच्चे अनुयायी भी समय के साथ भीड़ में कहीं खो गए l वर्तमान समय में अशांति का कारण मनुष्य की दुर्बुद्धि है l लोगों के मन में शांति , संतोष नहीं है , हर व्यक्ति धन , सुख -वैभव जल्दी से जल्दी प्राप्त करने के लिए भाग रहा है l जाति और धर्म के नाम पर होने वाले दंगों की बात नहीं करें , तो स्वार्थ , ईर्ष्या , द्वेष , अहंकार जैसे दुर्गुणों के कारण परिवारों में अशांति है l सबसे ज्यादा मुकदमे तो पारिवारिक संपत्ति , भूमि विवाद और तलाक के हैं l यह एक कटु सत्य है कि दूर देश में बैठा एक अनजान व्यक्ति किसी को सताने , उत्पीड़ित करने नहीं आता , ईर्ष्या , द्वेष , अहंकार जैसे दुर्गुणों के कारण सबसे ज्यादा शोषण , उत्पीड़न परिवारों में ही होता है l परिवार के ही लोग अपनी दुर्बुद्धि के कारण अपनों को ही सताने के लिए , उनकी भूमि , संपत्ति आदि---- पर अपना कब्ज़ा जमाने के लिए गैरों की मदद लेते हैं और 'खानदान ' के नाम पर मुंह बंद रखने की बात करते हैं l ऐसे ही अशांत मन के लोग इकट्ठे होकर अपनी दुर्बुद्धि से समाज में अशांति फैलाते हैं l भौतिक प्रगति तो बहुत हुई , बौद्धिक विकास बड़ी तेजी से हुआ लेकिन अध्यात्म से न जुड़ने के कारण इस बुद्धि का सदुपयोग नहीं हो रहा , धवल वस्त्रों में नर -पिशाच परिवार और समाज सबके लिए खतरा हैं l पं . श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ---- " आज सबसे बड़ी जरुरत सद्बुद्धि की है l गायत्री मन्त्र सद्बुद्धि का मन्त्र है l जब समाज को दिशा देने वाले ही दिशाहीन हों तब हम गायत्री मन्त्र के माध्यम से ईश्वर को पुकारें और सद्बुद्धि की प्रार्थना करें तभी संसार में शांति होगी l '
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