23 May 2024

WISDOM -----

   इस  धरती  पर  समय -समय  पर  अनेक  महान  आत्माओं  ने  शांति  और  अहिंसा  का  सन्देश  दिया   लेकिन   शांति  आई  ही  नहीं   हर  तरफ  युद्ध , दंगे , उन्माद  है  l  इन्सान  का  इन्सान  और  इंसानियत  पर  से  भरोसा  उठ  गया  है  l  इसका  एक  कारण  यह  भी  है  कि  शांति  का  उपदेश  देने  वाले   और  उन   उपदेशों  के  अनुसार  आचरण  करने  के  लिए  नियम , कानून  बनाने  वालों  में  बहुत   दूरी   थी  , कोई  तालमेल  नहीं  था  l  एक  ओर  त्याग  था   तो  दूसरी  ओर  स्वार्थ  और  महत्वाकांक्षा  थी  l  परस्पर  संतुलन  नहीं  था   इसलिए  उन  महान   शांति  दूतों  के  सच्चे  अनुयायी  भी  समय  के  साथ  भीड़  में  कहीं  खो  गए   l  वर्तमान  समय  में  अशांति  का  कारण   मनुष्य  की  दुर्बुद्धि  है  l  लोगों  के  मन में  शांति , संतोष  नहीं  है  , हर  व्यक्ति   धन , सुख -वैभव  जल्दी  से  जल्दी  प्राप्त  करने  के  लिए  भाग  रहा  है  l   जाति  और  धर्म  के  नाम  पर  होने  वाले  दंगों  की  बात  नहीं  करें ,  तो  स्वार्थ , ईर्ष्या , द्वेष  , अहंकार  जैसे  दुर्गुणों  के  कारण  परिवारों  में  अशांति   है  l  सबसे  ज्यादा  मुकदमे  तो  पारिवारिक  संपत्ति , भूमि विवाद  और  तलाक   के  हैं  l  यह  एक  कटु  सत्य  है   कि   दूर  देश  में  बैठा  एक   अनजान    व्यक्ति  किसी  को  सताने , उत्पीड़ित  करने  नहीं  आता  , ईर्ष्या , द्वेष , अहंकार  जैसे  दुर्गुणों  के  कारण   सबसे  ज्यादा  शोषण , उत्पीड़न  परिवारों  में  ही  होता  है  l  परिवार  के  ही  लोग   अपनी  दुर्बुद्धि  के  कारण  अपनों  को  ही  सताने  के  लिए , उनकी  भूमि , संपत्ति  आदि---- पर  अपना  कब्ज़ा  जमाने  के  लिए  गैरों  की  मदद  लेते  हैं   और  'खानदान ' के  नाम  पर  मुंह  बंद  रखने  की  बात  करते  हैं  l  ऐसे  ही  अशांत  मन  के  लोग   इकट्ठे  होकर  अपनी  दुर्बुद्धि  से  समाज  में  अशांति  फैलाते  हैं  l  भौतिक  प्रगति  तो   बहुत   हुई  ,  बौद्धिक  विकास  बड़ी  तेजी  से  हुआ   लेकिन  अध्यात्म  से  न  जुड़ने  के  कारण   इस  बुद्धि  का  सदुपयोग  नहीं  हो  रहा  ,  धवल  वस्त्रों  में  नर -पिशाच   परिवार  और  समाज  सबके  लिए  खतरा  हैं  l  पं . श्रीराम  शर्मा  आचार्य  जी  लिखते  हैं  ---- "  आज  सबसे  बड़ी  जरुरत  सद्बुद्धि  की  है   l  गायत्री मन्त्र  सद्बुद्धि   का  मन्त्र  है   l  जब  समाज  को  दिशा  देने  वाले  ही  दिशाहीन  हों   तब  हम  गायत्री  मन्त्र  के  माध्यम  से  ईश्वर  को  पुकारें   और  सद्बुद्धि  की  प्रार्थना  करें   तभी  संसार  में  शांति  होगी  l '

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