6 June 2024

WISDOM -----

 कहते  हैं  इस  संसार  में  एक  पत्ता  भी  हिलता  है  तो  वह  ईश्वर  की  मरजी  से  l  जो  भी  घटनाएँ  घटती  हैं  , वह  सब  ईश्वर  का  विधान  है   और  यह  विधान  कर्म -फल   पर  आधारित  है    मनुष्य  के  व्यक्तिगत  जीवन  में  जो  भी  अच्छा  -बुरा  घटता  है   वह  उसके   अपने  ही  कर्म   हैं  , वे  चाहे  इस  जन्म  के  हों  या  पिछले  किसी  जन्म  के  l   मन  को  शांत  रखने  का , तनाव रहित   रहने  का   प्रथम  सूत्र  यही  है  कि   जीवन  में  कष्ट , दुःख , कठिनाइयाँ  आएं  तो  हम  यह  स्वीकार  करें  कि  ये  हमारे  ही  जाने -अनजाने  में  किए  गए  कर्मों  का  परिणाम  है  l  मनुष्य  स्वयं  कर्म  कर  के  भूल  जाता  है   और  पिछले  जन्मों  का  तो  याद  भी  नहीं  रहता   लेकिन  ईश्वर  के  पास  एक -एक  व्यक्ति  का  लेखा -जोखा  है  l  अतीत  में  जो  कर्म  किए  ,  अब   उन  पर  हमारा   कोई  वश नहीं  है   उन्हों  कर्मों  के  आधार  पर  हमारा  वर्तमान  जीवन  है   इसलिए   आचार्य श्री  कहते  हैं ----- यदि  जीवन  में  कष्ट  का  समय  आता  है  तो  निष्काम  कर्म  की  गति  बढ़ा  दो  , पुण्य  का  कोई  भी  मौका  हाथ  से  न  जाने  दो  l   सत्कर्मों  से  ही  प्रारब्ध  के   कष्टों  का  बोझ  हल्का  होता  है   और  सुन्दर  भविष्य  का  निर्माण  होता  है  

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