19 July 2024

WISDOM ----

   प्रसिद्ध  संत   श्री किंकर जी  महाराज   गुजरात  के  एक  गाँव  में  पहुंचे  l  वहां  अनेक  लोग  उन्हें  अपने  घर  चलने  की  जिद  करने  लगे  l  कई  सेठ -सहकर  उन्हें  अपने  साथ  ले  जाना  चाहते  थे  , परन्तु  उन्हें  छोड़कर  श्री किंकर जी  महाराज   ने  एक  कुम्भकार  के  घर  जाना  स्वीकार  किया  l  वह  भक्त  कुम्भकार  उन्हें  बड़े  आदर  के  साथ  अपने  घर  ले  गया   और  उनको  भोजन  परोसने  लगा  l  उसकी  पत्नी  संत  के  पास  बैठकर   उन्हें  पंखा  झलने  लगी  l  संत  की  द्रष्टि  महिला  के  पैरों  पर  पड़ी   तो  वे  समझ  गए  कि   कुम्भकार  की  गृहिणी  अपंग  है  l  उन्होंने  प्रेम  से  पूछा --- " बेटी  !  अपंगता  के  कारण  घर  के  कार्यों  को  करने  में  कठिनाई  होती  होगी  ? "  वह  बोलो ---- " नहीं  महाराज  !  मैं  बैठे -बैठे  भोजन  बनाती  हूँ  , बरतन  मांजती  हूँ , घर  का  आंगन  लीपती  हूँ   और  भगवान  की  पूजा  करती  हूँ  l  इन्हें  केवल  पानी  भरना  होता  है  l "  संत किंकर जी  महाराज  ने   उसके  पति  से  पूछा  ---- "  तुमने  इससे  क्यों  विवाह  किया  था   ? "  वह  बोला  ---- " महाराज  ! मैंने  सोचा  कि  जीवन  सेवा  में  लगाना  चाहिए   तो  मैंने  इससे  विवाह  करने  का  निश्चय  किया  l  मैंने  इसे  कभी  दुःख  नहीं  दिया  ,  हमेशा  हर  कार्य  में   सहयोग  देता  हूँ  l  मैंने  इसे  तीर्थयात्रा  कराई  है  नल  पालीताना  के  मंदिरों  में  दर्शन   कराने  ले  गया  तो   कंधे  पर  बिठाकर  पहाड़ी  तक  पहुँचाया  l  हम  दोनों  एक  दूसरे  के  सहयोग  से   जीविकोपार्जन   व  भगवान  की  भक्ति  में  लगे  हैं  l "   संत  श्री  किंकर जी  महाराज   उन  दोनों  आदर्श  पति -पत्नी   को  देखकर  उनके  सम्मुख  नत मस्तक  हो  गए   और  बोले  ---- "  जहाँ  तुम  दोनों  जैसे  पति -पत्नी  होते  हैं  , वहां  गृहस्थी  सदा  सुखमय  होती  है   l "  

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