25 July 2024

WISDOM ------

  एक   साहूकार  भगवान  बिट्ठलनाथ  का  भक्त  था  l  उसे  पुत्र  हुआ  तो  उसने  भगवान  बिट्ठलनाथ   के  विग्रह  के  लिए  सोने  का  एक  कमरबंद  बनाने  का  संकल्प  किया  l  नगर  का  श्रेष्ठतम  सुनार  नरहरि  था  , सो  साहूकार  ने  नरहरि  सुनार  से  संपर्क  किया  l  नरहरि  सुनार  भगवान  शिव  का  अनन्य  भक्त  था   और  वह  कभी  भगवान  बिट्ठलनाथ जी  के  मंदिर  नहीं  गया  था   इसलिए  सुनार  ने  साहूकार  से  भगवान  की  कमर  का  नाप  लाने  को  कहा   l  साहूकार  द्वारा  दिए  गए  नाप  के  आधार  पर   नरहरि  ने  कमरबंद  बना  दिया  ,  पर  वह  कुछ  छोटा  रह  गया  l  तब  साहूकार   के  कहने  पर  नरहरि  सुनार  ने  उसे  कुछ  बड़ा  कर  दिया  l  इस  बार  वो  कुछ  ढीला  हो  गया  l  ऐसी  स्थिति  में  साहूकार  ने   नरहरि  से  स्वयं  मंदिर  चलकर  नाप  लेने  को  कहा   l  नरहरि  सुनार  ने  साहूकार  से  कहा  कि  वह  चलने  को  तैयार  है  ,  लेकिन  वह  केवल  शिवजी  के  मंदिर  ही  जाता  है   इसलिए  उसकी  आँखों  पर  पट्टी  बाँधकर   उसे  ले  जाया  जाए   l  साहूकार  ने  उसकी  बात  मान  ली  l  जब  नरहरि  सुनार  मंदिर  में  भगवान  बिट्ठलनाथ   की  मूर्ति  का  नाप   लेते  समय  उनके  पैरों  में  झुका   तो  उसे  लगा  कि   वहां  भगवान  शिव  नृत्य  कर  रहे  हैं    और  जब  उसने  कमर  को  छुआ  तो   उसे  लगा  कि  मूर्ति  की   कमर  में  सांप   लिपट  रहे  हैं  l  उसे  लगा कि  यह  तो  भगवान  शिव  की  पूर्ति  है   यह  सोचकर  उसने  आँखों  की  पट्टी  हटाई   तो  वहां  भगवान  बिट्ठलनाथ  खड़े  थे  l  उसने  फिर  पट्टी  बांधकर   नाप  लेने  का   प्रयास  किया  तो   उसे  भगवान  शिव  की  उपस्थिति  प्रतीत  हुई  l  तभी  आकाशवाणी  हुई   कि  --- सभी  भगवान  एक  हैं  नरहरि  ,  तू  भेद  क्यों  करता  है  ?   नरहरि  के  मन  का  भ्रम  दूर  हो  गया  और  उसने   भगवान  बिट्ठलनाथ  के  लिए   एक  सुन्दर  सा  कमरबंद  तैयार  कर  दिया   l  

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