लघु कथा ------- 1 . मानसून का समय आया तो एक साल भर से सुखी नदी उफान के साथ बहने लगी l गर्व से उन्मत होकर वह समीप बसे गाँव के कुएं से बोली ---- " कुएं भाई ! जरा मेरी चौड़ाई तो देखो l मैं एक नहीं दसियों गाँव को अपने अन्दर समा सकती हूँ l तुम तो सहज ही मेरे अन्दर समा जाओगे l " कुएं ने नदी की बात का कोई उत्तर नहीं दिया l मौसम बदला तो बरसाती नदी सूखकर पतली सी धारा में बदल गई l कुआं उसे संबोधित करते हुए बोला ---- " बहन ! जीवन में मात्र विस्तार ही सब कुछ नहीं होता , गुणवत्ता भी आवश्यक है l बिना उदेश्य के बहुत बढ़ जाने से भी कोई लक्ष्य प्राप्त नहीं होता l जीवन में सफलता तो व्यक्तित्व में गहराई लाने से ही प्राप्त होती है l "
2 . एक व्यापारी रेगिस्तान के रास्ते से व्यापार कर के लौट रहा था l उसने अपनी झोली में कई कीमती हीरे , जवाहरात आदि भर रखे थे l उसके मित्रों ने समझाया कि कुछ जवाहरात छोड़ दे और उनके बदले पानी की चिश्तियां बाँध ले , पर उसने उनकी सलाह को दरकिनार कर अपनी यात्रा जारी रखी l रास्ते में उसकी भोजन सामग्री और पानी समाप्त होने पर जब वह निढाल हो गया , तब उसे एहसास हुआ कि हीरे -जवाहरातों से पेट नहीं भरा जा सकता l मनुष्य अपनी कभी न समाप्त होने वाली तृष्णा के कारण धन- दौलत के पीछे अंधाधुंध भागकर अपना जीवन बरबाद कर देता है l
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