17 August 2024

WISDOM ------

  बालधि  ऋषि  के  नवजात  पुत्र  की  मृत्यु  हो  गई  l  इस  घटना  से  वे  अत्यंत  विचलित  हो  गए  l  उन्होंने  देवराज  इंद्र  की  उपासना  कर  के  एक  अमर  पुत्र  प्राप्त  करने  का  निश्चय  किया  l  इस  संकल्प  के  साथ  उन्होंने  इंद्र  की  तपस्या  कर  उन्हें  प्रसन्न  कर  लिया  l  इन्द्रदेव   प्रकट    हुए  और   ऋषि  बलाधि  से  वर  मांगने  को  कहा  l  बलाधि  बोले --- " देव  !  मुझे  एक  ऐसा  पुत्र  दें  , जिसकी  कभी  मृत्यु  न  हो  l " देवराज  इंद्र  ने  कहा  ---- " ऋषिवर  ! मनुष्य  देह  का  अमर  हो  पाना  तो  संभव  नहीं  है  ,  कोई  अन्य  वर  मांगिए  l "   तब  सोचकर  ऋषि  ने  कहा ---- "  आप  मुझे  एक  ऐसा  पुत्र  दीजिए  जो   तब    तक  जीवित  रहे  ,  जब  तक  यह  पर्वत  सामने  अचल  खड़ा  है  l "  इंद्र  ने  कहा  'तथास्तु  '  और  चले  गए  l   कुछ  समय  बाद  ऋषि  को  पुत्र  की  प्राप्ति  हुई  , उसका  नाम  मेधावी  रखा  l   मेधावी  को  बाल्यावस्था  से  ही  अहंकार  ही  गया  कि  उसे  कोई  मार  नहीं  सकता , वह  बहुत  उद्दंड  हो  गया  l  उसके  व्यवहार  से  त्रस्त  होकर  लोग  बलाधि  ऋषि  के  पास  गए  l   ऋषि  ने  पुत्र  को  समझाया  --- " पुत्र  ! अहंकार  ही  मनुष्य  के  पतन  और  सर्वनाश  का  कारण  है  l  हमें  कभी  देव कृपा  का  अहंकार  नहीं  करना  चाहिए  l "  मेधावी  को  पिता  का  समझाना  अच्छा  न  लगा  और  वह  उन्हें  भी  अपशब्द  कहकर  वहां  से  निकल  पड़ा  l  मार्ग  में  उसकी  भेंट  ऋषि  धनुषाक्ष   से  हुई  l  जब  उसने  उनके  साथ  भी  उद्दंड  व्यवहार  किया   तो  ऋषि  धनुषाक्ष  ने  उसे  तत्काल  मृत्यु   का  शाप  दिया  मेधावी  को  मिले  वर  के  कारण  वह  जीवित  खड़ा  था  l  ऋषि  को  बड़ा  आश्चर्य  हुआ  कि  उनका  वचन  व्यर्थ  कैसे  हुआ  ?   उन्होंने  तत्काल  ध्यान  लगाकर  सत्य  का  पता  लगाया   और  मेधावी  को  मिले  वरदान  का  बोध  होते  ही   उन्होंने  हाथी  का  रूप  धारण  कर   अपने  प्रहारों  से  पहाड़  को  ध्वस्त  कर  दिया   l  पहाड़  के  गिरते  ही  मेधावी  की  मृत्यु  हो  गई  l   ऋषि  बलाधि  यह  समाचार  मिलने  पर  बोले ---- "  अमर  पुत्र  प्राप्त  करने  की  अपेक्षा  सदाचारी  पुत्र  होता , तो  मुझे  ज्यादा  संतोष  होता  l "    

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