9 August 2024

WISDOM -------

   आचार्य  उपकौशल  यात्रा  पर निकले  थे  ,  रात  हो  जाने  के  कारण  उन्हें  वन  में  एक  वृक्ष  के  नीचे  रुकना  पड़ा  l  सोने  के  कुछ  देर  बाद  उन्हें   किसी  के  कराहने  की  आवाज  सुनाई  दी  l  उन्होंने  लकड़ियाँ  जलाकर  देखा  ,  पर  कोई  दिखाई  नहीं  दिया  l  तब  उन्होंने  कहा  ---- "यहाँ  कौन  है   ?   सामने  क्यों  नहीं  आते  ? "    उत्तर  मिला ---- " मैं  निकृष्ट    प्रेत  आपके  ब्रह्मतेज  के  सामने  कैसे   प्रकट  हो  सकता  हूँ  ?  कृपया  मेरे  उद्धार  का  मार्ग  बताएं  ? " आचार्य  ने  उसकी  इस  दशा  का  कारण  पूछा  , तो  उसने  कहा --- " भोगों  को  प्राप्त  करने  के  लिए   मैंने  कभी  भी  कर्मों  की  नैतिकता  की  परवाह  नहीं  की   और  आजीवन  ऐसा  जीवन  बिताने  पर  भी   मेरी  वासनाओं  की  संतुष्टि  न  हो  सकी  , इस  कारण  मृत्यु  के  उपरांत   प्रेत  योनि  में  भटक  रहा  हूँ  l "   आचार्य  कहने  लगे  --- "  यह  मन  ही  अनियंत्रित  होने   पर  पतन  का  कारण  बनता  है  और  यदि   मन  को  साध  लिया  जाए   तो  यही  मुक्ति  का  हेतु  भी   सिद्ध  होता  है  l "  आचार्य  ने  अपने  तप , पुण्य  का   एक  अंश  देकर   उसके  कल्याण  का  मार्ग  प्रशस्त  किया   l  इसके  परिणामस्वरूप  उस  प्रेत  का  पुनर्जन्म  हुआ  और  स्मृति  रहने  के  कारण   वह  साधना  और  लोकसेवा  करते  हुए  मुक्ति  के  पथ  पर  प्रशस्त  हुआ  l                        

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