पं . श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं --- " असीम सत्ता पर गहरी आस्था से हमें ऊर्जा मिलती है l यदि आस्था गहरी हो तो सफलता में उन्माद नहीं होता और असफलता में अवसाद नहीं होता l " जो भी व्यक्ति इस सत्य को जानते हैं कि इस संसार में एक पत्ता भी हिलता है तो वह ईश्वर की मरजी से ही है , ऐसे व्यक्ति सुख को ईश्वर की देन मानकर उस समय का सदुपयोग करते हैं , अहंकार नहीं करते और दुःख के समय को भी ईश्वर की इच्छा मानकर उसे तप बना लेते हैं l वे इस सत्य को जानते हैं कि विपत्ति का प्रत्येक धक्का उन्हें अधिक साहसी , बुद्धिमान और अनुभवी बना देगा l सुख -दुःख , मान -अपमान और हानि -लाभ में अपने मानसिक संतुलन को बिगड़ने नहीं देते l महाभारत में पांडव भगवान श्रीकृष्ण के प्रति समर्पित थे l अनेक वर्ष उन्हें जंगलों में गुजारने पड़े , निरंतर दुर्योधन के षड्यंत्रों और कौरवों से मिले अपमान को सहना पड़ा l लेकिन वे कभी विचलित नहीं हुए और कठोर तपस्या कर के दैवी अस्त्र -शस्त्र प्राप्त किए और अंत में विजयी हुए l
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