26 March 2013

एक बार एक गरीब आदमी हजरत इब्राहीम के पास पहुंचा और कुछ आर्थिक सहायता मांगने लगा | हजरत ने कहा -"तुम्हारे पास यदि कुछ सामान हो तो मेरे पास ले आओ | "गरीब आदमी के पास तश्तरी ,लोटा और दो कम्बल थे | हजरत ने एक कंबल छोड़कर सब सामान नीलाम कर दिया ,नीलाम में प्राप्त दो दरहम उसे देते हुए कहा -"एक दरहम का आटा और एक दरहम की कुल्हाड़ी खरीद लो | आटे से पेट भरो और कुल्हाड़ी से लकड़ी काटकर बाजार में बेचो | "गरीब आदमी ने यही किया ,पंद्रह दिन बाद वह लौट कर हजरत के पास आया तो उसके पास बचत के दस दरहम थे | हजरत ने कहा -"समझदारी का मार्ग यही है कि यदि मनुष्य समर्थ हो तो आवश्यक सहायता अपनी ही बाजुओं से मांगे | 

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