30 June 2013

KARM

'श्री मद भगवद गीता सन्यास की पाठ्य पुस्तक नहीं ,यह हमें जीवन जीने की कला सिखाती है | '
         गीता का संदेश बड़ा स्पष्ट है --कभी भी कर्म किये बिना न रहो | जो कर्म किये बिना जीता है ,वह अपने अस्तित्व को खो बैठता है | जो कर्म की अवमानना करता है वह मानो जीवन देवता का अपमान करता है |
         जीवन समर में सभी प्रकार की उथल -पुथल का सामना करते हुए जीना ,सक्रिय हो उद्दमी बने रहना ही मनुष्य को शोभा देता है | कर्म करो ,सक्रिय होकर जिओ एवं निर्भय होकर रहो | परिश्रम से मत डरो ,निराशाओं का सामना करने से हिचकिचाओ मत | जब तक जीवित हो ,जीवन का एक -एक पल जिओ | कर्मों द्वारा ऊँचे उठो ,कर्मों द्वारा ही उन्नति करो ,कर्मों से ही अपना विस्तार करो |
         जीवन को कलाकार की तरह जीने का ,हँसती -हँसाती ,खिलती -खिलखिलाती ,मस्ती भरी जिंदगी जीने का संदेश गीता हमें देती है |




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