'ईश्वर से पाना और उसे जरुरतमंदों में बांटना ,इसी में सच्ची संपन्नता ,समर्थता एवं जीवन की सार्थकता है ।'
पक्षियों के समूह ने बादलों को उलाहना देते हुए कहा -"बंधुओ !तुम्हारी भी क्या जिंदगी है ?एक जगह से वजन उठाकर चलना और दूसरी जगह उंडेल देना | ये तो मजदूरों की सी जिंदंगी हुई | "
बादल हँसे और बोले -"इन्ही पानी की बूँदों से तो वो जीवन जन्म लेता है ,जिसका आनंद हम और तुम उठाते हैं | हम बरसते हैं तो सारी स्रष्टि तृप्त होती है | यदि परमात्मा की इस रचना के लिये थोड़ा भार उठाना भी पड़ा तो उसमे अपना जीवन धन्य ही माना जाना चाहिये | "
जाग्रत आत्माएँ भी बादलों की तरह ही जीवन जीती हैं और सत्प्रेरणा को दिव्य सत्ता से लेकर उन अंत:करण पर बरसाती है ,जिनके ह्रदय में समाज के लिये कुछ करने की चाह होती है |
पक्षियों के समूह ने बादलों को उलाहना देते हुए कहा -"बंधुओ !तुम्हारी भी क्या जिंदगी है ?एक जगह से वजन उठाकर चलना और दूसरी जगह उंडेल देना | ये तो मजदूरों की सी जिंदंगी हुई | "
बादल हँसे और बोले -"इन्ही पानी की बूँदों से तो वो जीवन जन्म लेता है ,जिसका आनंद हम और तुम उठाते हैं | हम बरसते हैं तो सारी स्रष्टि तृप्त होती है | यदि परमात्मा की इस रचना के लिये थोड़ा भार उठाना भी पड़ा तो उसमे अपना जीवन धन्य ही माना जाना चाहिये | "
जाग्रत आत्माएँ भी बादलों की तरह ही जीवन जीती हैं और सत्प्रेरणा को दिव्य सत्ता से लेकर उन अंत:करण पर बरसाती है ,जिनके ह्रदय में समाज के लिये कुछ करने की चाह होती है |
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