22 June 2013

TRANSFORMATION

'मनुष्य का उद्देश्य ऊँचा हो और संकल्प दृढ हो तो किसी भी परिस्थिति से उबर सकता है | कलिंग विजय के बाद अशोक सम्राट तो बन गया ,पर उतनी ही मात्रा में उसे पीड़ित लोगों की घ्रणा और धिक्कार का सामना भी करना पड़ा | युद्ध के आर्तनाद ने उसके अंदर की करुणा और मानवता को जिंदा कर दिया | भगवान बुद्ध का अनुयायी बनकर वह सतपथ पर अग्रसर हुआ और आज अपने श्रेष्ठ कार्यों के याद किया जाता है |
   न्याय और धर्म का पथ कठिनतो है ,पर आंतरिक संतुष्टि और भावनात्मक तृप्ति के अधिकारी इसी पथ के पथिक बनते हैं |

         'पाप का प्रायश्चित कभी पाप से नहीं हो सकता | सचमुच ही प्रायश्चित करना है तो लोक सेवा का कार्य करो ,जीवों को सुख पहुँचाओ परमार्थ के काम करो | '

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