' निज अस्तित्व की चिंता छोड़कर समाज के कल्याण के लिये जो अग्रसर होते हैं, वे बन जाते हैं जनमानस के मोती | '
संत फ्रांसिस ने एक कोढ़ी को चिकित्सा के लिये धन दिया, वस्त्र दिए और स्वयं उसकी सेवा की | एक गिरजाघर की मरम्मत के लिये दुकान की कपड़े की कई गांठे और अपना घोड़ा बेचकर सारा धन दे दिया | उनके पिता को इन बातों का पता चला तो उन्होंने उन्हें मारा-पीटा और सम्पति के उतराधिकार से वंचित करने की धमकी भी दी |
पिता की यह धमकी सुनकर उन्होंने कहा--" आपने मुझे एक बहुत बड़े मोह बंधन से मुक्त कर दिया | में स्वयं उस सम्पति को दूर से प्रणाम करता हूँ, जो परमार्थ और लोकमंगल के काम नहीं आ सकती | " यह कहते हुए उन्होंनेअपने कपड़े तक उतार दिए और पिता की सारी संपदा का अधिकार भी त्याग दिया |
लोकसेवा के मार्ग में बाधा बनने वाली संपदा का परित्याग कर दिया |
संत फ्रांसिस ने एक कोढ़ी को चिकित्सा के लिये धन दिया, वस्त्र दिए और स्वयं उसकी सेवा की | एक गिरजाघर की मरम्मत के लिये दुकान की कपड़े की कई गांठे और अपना घोड़ा बेचकर सारा धन दे दिया | उनके पिता को इन बातों का पता चला तो उन्होंने उन्हें मारा-पीटा और सम्पति के उतराधिकार से वंचित करने की धमकी भी दी |
पिता की यह धमकी सुनकर उन्होंने कहा--" आपने मुझे एक बहुत बड़े मोह बंधन से मुक्त कर दिया | में स्वयं उस सम्पति को दूर से प्रणाम करता हूँ, जो परमार्थ और लोकमंगल के काम नहीं आ सकती | " यह कहते हुए उन्होंनेअपने कपड़े तक उतार दिए और पिता की सारी संपदा का अधिकार भी त्याग दिया |
लोकसेवा के मार्ग में बाधा बनने वाली संपदा का परित्याग कर दिया |
No comments:
Post a Comment