31 May 2018

WISDOM ----

 '   इस  जगत  में   छोटे  से  छोटे  काम  की  भी  प्रतिक्रिया  अवश्य  होती  है   l  तब  कोई  महान  त्याग   अथवा  निस्स्वार्थ  बलिदान  व्यर्थ  चला  जाये   यह  प्रकृति  के  नियमों  के  विरुद्ध  बात  है   l 
  महाराणा  प्रताप  ने  राजा  होते  हुए  भी  देश  के  लिए  त्यागी   और  तपस्वी  का  जीवन  बिताया   और  दिल्ली  के  बादशाहत  के  सुख - सम्पति  के  भारी  प्रलोभनों  को  ठुकरा  दिया   l  ऐसा  त्याग  कभी  व्यर्थ  नहीं  जा  सकता   l  जनमानस  पर  उसका  प्रभाव  स्वयमेव  पड़ता  है    और  वह  अज्ञात  रूप  से  लाखों  को   अपना  अनुयायी  बना  लेता  है  l 
  महाराणा  प्रताप  यदि  चाहते  तो   बादशाह  अकबर  से  साधारण  संधि  कर   आराम  की  जिन्दगी  बिता  सकते  थे   पर  उन्होंने  अपने  सुख  या  आराम  की  परवाह  न  कर  के   भारतवर्ष  और  राजपूत  जाति  के  गौरव  को  स्थिर  रखने  के  लिए  संघर्ष  के  मार्ग  को  अपनाया   l  सैकड़ों  वर्ष  बीत  जाने  पर  भी   हम  उनका  गुणगान  करते  हैं   और  उनके  जीवन  से  प्रेरणा  ग्रहण  करते  हैं    l  

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