16 May 2024

WISDOM -----

   पं . श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं ---- ' कथनी  और  करनी  का  अंतर   समाज  की  बहुत  बड़ी  विडंबना  है  l  इस  समय  ऐसे  बहुत  से  ऐसे   शूरवीर  मिलेंगे   जो  बातें  तो  बहुत  बढ़ -चढ़  कर  करते  हैं  ,  किन्तु  जब  कार्य  को   सिद्धांत  रूप  में  अपनाने   की  बात  आती  है   तो  पीछे  हट  जाते  हैं  l  महापुरुष  वही  होते  हैं   जो  कहने  से  पहले   किसी  भी  सिद्धांत  को   अपने  जीवन  में  उतारते  हैं  l  ऐसे  महामानवों  की  वाणी  में   वह  शक्ति  आ   जाती  है   कि  वह  दूसरों  को   जो  भी  उपदेश  देते  हैं  , जनता  उनकी  बात  मानती  है   l  '  पर  उपदेश  कुशल  बहुतेरे  '  के  अनुसार  दूसरों  को  उपदेश  देना  बहुत  सरल  है  ,  पर  उस  सिद्धांत  पर  आचरण  करना  बहुत  कठिन  है  l  --------- एक  बालक  मिठाई  बहुत  खाता  था  l  उसकी  यह  आदत  उसके  स्वास्थ्य  को  बिगाड़  रही  थी   l  बालक  मानता  ही  नहीं  था  l  उसकी  माता  उसे   रामकृष्ण  परमहंस  के  पास  ले  गई  l  उसे  विश्वास  था  कि  परमहंस जी  के  उपदेश  से  ,  उनकी  शिक्षा  से    बालक  की  आदत  सुधर  जाएगी  , उसके  जीवन  को  सही  दिशा  मिलेगी  l   परमहंस जी  ने  उसे  एक  सप्ताह  बाद  आने  को  कहा  l  महिला  चली  गई  l  एक  सप्ताह  बाद  वह  पुन: बालक  को  लेकर  उनके  पास  आई  l  परमहंस जी  ने  बालक  को  उपदेश  दिया  और  समझाया  तो  बालक  ने   मिठाई  छोड़  दी   l  महिला  ने  एक  सप्ताह  विलंब   लगाने  का  कारण  पूछा   तो  परमहंस जी  ने  कहा  --- तब  तो  मैं  स्वयं  मिठाई  खाता  था  l  जब  बालक  को  उपदेश  देना  आवश्यक  प्रतीत  हुआ  ,  तो  पहले  मैंने  स्वयं  मिठाई  छोड़ी   , तब  बालक  को  कहा  l  जो  स्वयं  करता  है , उसी  की  शिक्षा  का  प्रभाव  पड़ता  है  l 

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