27 May 2024

WISDOM -------

   एक  जल  पूरित  नदी  कल -कल  करती  हुई   आनंद  और  उल्लास  के  साथ  बही  जा  रही  थी  l  उसके  किनारे  बड़े -बड़े  सुन्दर  नगर , उपनगर  बसे  हुए  थे  l  खेती  और   दैनिक  जीवन  में  इसके  जल  का  लोग  उपयोग  करते करते  थे  l  नदी  के  जल  से  विद्युत  उत्पादन  होता  था  , इस  बिजली  से  बड़े -बड़े   उद्योग  लाभान्वित  होते  थे  l  नदी  के  माध्यम  से  व्यापर  भी  होता  था , असंख्य  लोगों  को  रोजगार  मिला  था  l  नदी   अपने  गंतव्य  की  ओर  बहती  हुई  जा  रही  थी  , तब   उसके  निकट  एक  छोटी  तलैया  , जिसका  पानी  प्रवाह हीन   होने  के  कारण  दुर्गन्ध  दे  रहा  था  ,  उसने  नदी  से  कहा ---- " बहिन  बताओ  ,  अपने  इस  दिन -रात  के  बहते  हुए  जीवन  में   आखिर  तुम्हे  किस  बात  का  अनुभव  होता  है  ,  जो  तुम   निरंतर  कल -कल  करती  हुई   किलोले  क्रिया    करती  हो  ?  मुझे  क्यों  नहीं  देखतीं  , जो  एक  जगह  ठहरकर   अपने  जीवन   को  प्रगति  और  प्रवाह  से   दूर  कर  के  , स्थिर  होकर   यहाँ  पड़ी -पड़ी   आराम  के  साथ  अपने   दिन  गुजार  रही  हूँ   l "  नदी   ने  तलैया  से  कहा ---- " प्रगति  और  प्रवाह  का  पथ   अपनाने  से  ही   मेरा  जल   स्वच्छ  और  निर्मल  बना  हुआ  है   और  इसीलिए  मेरी  हर  बूंद  का   सदुपयोग  किया  जाता  है  l  प्रगति  और  प्रवाहहीन  होने  के  कारण   ही  तुम  गंदगी  का   आगार  बनी  हुई  हो  l  औरों  के  उपयोग  में  न  आने  वाले   तुम्हारे  जीवन  का  इस  दुनिया  में   अधिक  अस्तित्व  नहीं  है  l "  

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