बालक सैंडो अत्यंत दुर्बल और रोगी था l अपनी बुरी आदतों के कारण उसने बचपन में ही अपना स्वास्थ्य ख़राब कर लिया था l एक दिन सैंडो अपने पिता के साथ अजायबघर देखने गया l रोम की गैलरी में उसने प्राचीन काल के बलिष्ठ पुरुषों की मूर्तियाँ देखीं l उसे विश्वास न हुआ कि ऐसे मांसल भुजाओं वाले स्वस्थ और बलवान लोग भी इस संसार में हो सकते हैं l सैंडो इन प्रतिमाओं को देखकर बड़ा प्रभावित हुआ l उसने पिता से पूछा ---- " क्या ये प्रतिमाएं काल्पनिक हैं ? क्या ऐसा स्वास्थ्य संभव हो सकता है ? " पिता ने कहा ---" संसार में संभव क्या नहीं है , यदि तुम भी नियमित व्यायाम करो , परिश्रम करो , संयमित बनो , आलस न करो , नियमित दिनचर्या हो तो तुम भी ऐसा स्वास्थ्य प्राप्त कर सकते हो l " यह बात सैंडो के मन में बैठ गई l उसने संकल्प कर के अपनी पिछली जिन्दगी का चोला उतार फेंका और नियमपूर्वक व्यायाम और कठोर श्रम करना प्रारम्भ कर दिया l इसका परिणाम हुआ कि वह एक प्रख्यात पहलवान बन गया l उसने व्यायाम की अनेक विधियाँ भी निकली , जिन्हें सैंडो की कलाएं कहा जाता है l
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