5 May 2024

WISDOM ----

   एक  बार  एक  जिज्ञासु  आदि  शंकराचार्य  से  मिलने  पहुंचा  l  उसने  शंकराचार्य जी  से  प्रश्न  किया  --- " दरिद्र  कौन  है  ? " आचार्य  शंकर  ने  उत्तर  दिया --- " जिसकी  तृष्णा  का  कोई  पार  नहीं  है  , वही  सबसे  बड़ा  दरिद्र  है  l "    उस  जिज्ञासु  ने  पुन: प्रश्न  किया  ---- "धनी  कौन  है  ? "  शंकराचार्य  बोले  ---- " जो  संतोषी  है  , वही  धनि  है  l संतोष  से  बड़ा  धन  दूसरा  नहीं  है  l "    जिज्ञासु  ने  पुन: एक  प्रश्न  किया  ---- " वह  कौन  है  ,  जो  जीवित  होते  हुए  भी  मृतक  के  समान  है  ? "  उन्होंने  उत्तर  दिया  --- " वह  व्यक्ति  जो  उद्यमहीन  है   और  निराश  है  ,  उसका  जीवन  एक  जीवित  मृतक  के  समान  है  l  "  पं . श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं --- 'आदि  शंकराचार्य  के  ये  वचन  मनुष्य  के  आंतरिक  उत्कर्ष  के  लिए  बहुत   मूल्यवान  हैं  l  मनुष्य  अनंत  तृष्णाओं  को  पार  करने  के  प्रयत्न  में   दरिद्रता  को  प्राप्त  करता  है   और  संतोष  धन  को  पाते  ही   ऐसे  खजाने  का   स्वामी  हो  जाता  है  ,  जो  कभी  चुक  नहीं  सकता  l '  

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