5 May 2024

WISDOM --------

   बंधुवर  पुष्प  !  लो  सबेरा  हुआ  , माली  इधर  ही  आ  रहा  है  ,  अपनी  सज्जनता , सौम्यता  और  उपकार  की  सजा  भुगतने  के  लिए  तैयार  हो  जाओ  l  यदि  मेरी  सीख  मानते   और  कठोरता  व  कुटिलता  का   का  आश्रय  ग्रहण  किए  रहते  , तो  आज  यह  नौबत  नहीं  आती  l   फूल  कुछ  बोला  नहीं  , बस !  मुस्कराता  रहा   l  माली  आया  , उसने  फूल   तोड़ा  और  डलिया  में  रखा  l  काँटा  दर्प  से  हँसा  , माली  की  वृद्ध  उँगलियों  में  चुभा   और  अहंकार  में  ऐंठ  गया  l  माली  उसे  भला -बुरा  कहता  हुआ  वापस  लौट  गया  l  समय  बीता  l  एक  दिन  देव मंदिर   में  चढ़ाए  उस  फूल  की  सूखी  काया  को   उठाकर  कोई   उसी  वृक्ष  की  जड़ों  के  पास  डाल  गया  l  काँटे  ने  म्लान  मुख   फूल  को  देखा  ,  तो  हँसा  और  बोला  --- " कहो  तात  !  अब  तो  समझ  गए   कि  परोपकारी  होना   अपनी  ही  दुर्गति  कराना  है  l "   फूल  की  आत्मा  बोली ---- " बन्धु ,   यह  तुम्हारा  अपना  विश्वास  है  l  शरीरों  में  चुभकर   दूसरों  की  आत्मा  को  कष्ट  पहुँचाने   के  पाप  के  अतिरिक्त   तुम  अपयश  के  भी  भागी  बने  l  अंत  तो  सभी  का  सुनिश्चित  है  ,  किन्तु  अपने  प्राणों  को   देवत्व  में  परिणत  करने   और  संसार  को  प्रसन्नता   प्रदान  करने  का   जो  श्रेय  मुझे  मिला  ,  तुम  उससे  सदैव  के  लिए  वंचित  रह  गए  l  मैं  हर  द्रष्टि  से  फायदे  में  हूँ  और  तुम  घाटे  में  l "  

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