9 May 2024

WISDOM -----

   एक  बार  महात्मा  आनंद  स्वामी  के  पास   एक  धनपति  आए  l  उनके  कई  कारखाने  थे , सभी  पुत्र  काम  पर  लगे  थे  l  पत्नी  का  स्वर्गवास  हो   चुका  था  l  वैभव  का  साम्राज्य  था  उनके  पास  ,  लेकिन  उनके  अंतर  में  शांति  नहीं  थी   l  भूख  , नींद  सब  चली  गई  थी  l   सेठ जी  ने  अपनी  यह  व्यथा  महात्मा जी  को  सुनाई  l  महात्मा  आनंद स्वामी जी  ने  कहा ---- "  आपने  जीवन  में  कर्म  और  श्रम  को  तो  महत्त्व  दिया  , पर  भावना  को  नहीं  l  सत्संग , कथा श्रवण  से  तो  विचारों  को  पोषण  मिलता  है  l  अन्दर  की  शुष्कता  दूर  करने  के  लिए   अब  प्रेम , धन  और  श्रम  लुटाना  शुरू  कीजिए  l  सबको  स्नेह  दीजिए  ,  अनाथों , निर्धनों  के  बीच  जाइए  ,  उन्हें  स्वावलंबी  बन   सकने  योग्य  सहायता  दीजिए  ,  अपना  शरीर  श्रम  भी   जितना  इस  पुण्य  कार्य  में  लगा  सकें  लगाइए  l  फिर  देखिए  आपकी  भूख  लौट  आएगी   तथा  नित्य  चैन  की  नींद  सोएंगे  l " सेठ जी  ने  ऐसा  ही  किया  , फिर  चमत्कारी  परिवर्तन  ने  उन्हें  जो  शांति  और  प्रसन्नता  दी  ,  वह  पहले  कभी  नहीं  मिली  थी  l 

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