11 June 2024

WISDOM ------

  1 . एक  जमींदार  ने  विधवा  बुढ़िया  का  खेत   बलपूर्वक  छीन  लिया  l  बुढ़िया  ने  गाँव  के  सभी  लोगों  से  इस  अत्याचार  से  बचाने  की   पुकार  की ,  पर  किसी  की  हम्मत   जमींदार  के  सामने  मुँह  खोलने  की  नहीं  हुई  l   तब  बुढ़िया  ने  स्वयं  ही  साहस  समेटा   और  जमींदार  के  पास  यह  कहने  पहुंची  कि   खेत  नहीं  लौटाते  तो   उसमें  से  एक  टोकरा  मिटटी  खोद  लेने  दो  ,  ताकि  उसे  कुछ  तो  मिलने  का  संतोष  हो  जाए  l  जमींदार  राजी  हो  गया  और  बुढ़िया  को   साथ  लेकर  खेत  पर  पहुंचा  l   बुढ़िया  ने  रोते -धोते  एक  बड़ी  टोकरी  मिटटी  से  भर  ली   और  कहा --- उसे  उठवाकर  मेरे  सिर  पर  रखवा  दे  l   टोकरी  बहुत  भारी  हो  गई  थी  l  जमींदार  ने   अकड़कर  कहा ---- बुढ़िया  !  इतनी  सारी  मिटटी  सिर  पर  रखेगी   तो  दबकर  मर  जाएगी  l    बुढ़िया  ने  पलटकर  पूछा ---- यदि  इतनी  सी  मिटटी  से  मैं  दबकर  मर  जाऊँगी  तो   तू   पूरे  खेत  की  मिटटी  लेकर   जीवित  कैसे  रहेगा  ?  जमींदार   सोच  में  पड़  गया  , उसका  सिर  लज्जा  से  झुक  गया   और  उसने  बुढ़िया  का  खेत  लौटा  दिया  l 

2 .     नदी  के  किनारे  शमी  का  वृक्ष  था  l  वह  जब -तब  पास  ही  पानी  में  खड़े   बेंत  का  उपहास  उड़ाया  करता  था   और  कहता  था ---" क्या  छोटी -छोटी  लहरों  के  थपेड़े  लगते  ही  झुक  जाते  हो  l  मुझे  देख  मैं  किस  शान  से   सिर  ऊँचा  किए  हुए  खड़ा   हूँ  l "   बेंत  बेचारा  इतना  ही  कहता  ---- " वृक्षराज  !  मैं  तो  विनम्रता  में  विश्वास  करता  हूँ  , अहंकार  में  नहीं  l "  शमी  वृक्ष  उसकी  बात  सुनकर  देर  तक  हँसता  रहता  l    एक  दिन  नदी  में  भीषण  बाढ़  आई   l  लोगों  ने  देखा  कि  शमी  का  अभिमानी  वृक्ष   जड़  से  उखड़ कर   तूफ़ान  में  बह  गया   लेकिन   जो  बेंत  प्रवाह  से  लचककर  जमीन  में   मिल  गया  था  ,  वह  बाढ़  उतर  जाने  पर   फिर  सीधा  खड़ा  हो  गया  l  बेंत  शमी  वृक्ष  का  अंत  देखकर  हँसा  नहीं  ,  बल्कि  उसने  ईश्वर  को  धन्यवाद  दिया   कि  उसने  उसे  ऐंठ  से  अकड़ा  हुआ  अहंकारी  न  बनाकर   नतमस्तक  विनम्र  बनाया  l  

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