1 . हित चाहने वाला पराया भी अपना है और अहित करने वाला अपना भी पराया है l रोग अपनी देह में पैदा होकर भी हानि पहुंचाता है और औषधि वन में पैदा होकर भी हमारा लाभ ही करती है l
2 . जिस प्रकार बछड़ा हजार गायों में भी अपनी माँ को ढूंढ लेता है , उसी प्रकार किया गया कर्म भी अपने कर्ता को ढूंढ निकालता है l
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