आज मनुष्यों के जीवन में सबसे बड़ी समस्या तनाव की है l यह तनाव ही अनेक समस्याओं और बीमारियों को जन्म देता है l यह तनाव कहीं बाहर से नहीं आया है , यह व्यक्ति की स्वयं के जीवन की गलत शैली के कारण उत्पन्न होता है l लोगों की इच्छाएं , आवश्यकताएं और महत्वाकांक्षा अनंत है , स्वयं को दूसरों से श्रेष्ठ दिखाने की अंधी दौड़ है l ये सब यदि मर्यादित हों तो व्यक्ति के , समाज के विकास में सहायक होती हैं लेकिन अनंत हो जाने पर सर्वप्रथम व्यक्ति को ही ' तनाव ' उपहार में देती हैं l पं . श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ----- " व्यक्ति की इच्छाएं जब बहुत बढ़ जाती हैं तो उन्हें पूरा करने के लिए वह उन्ही के अनुरूप भाग -दौड़ करता है l चिंता करते हुए तनाव में रहता है l दुनिया में कुछ ऐसे लोग होते हैं जिन्हें चाहे जितना मिल जाए वो उससे कभी संतुष्ट नहीं होते और इस तरह अपनी इच्छाओं को बढ़ाने के साथ अपनी असंतुष्टि का दायरा भी वो बढ़ाते ही रहते हैं l आचार्य श्री लिखते हैं --- ' सादगी का अर्थ केवल खान-पान या सरल जीवन शैली नहीं है बल्कि यह वास्तव में एक सोच है , क्योंकि इस सोच के कारण हमारा जीवन को देखने का नजरिया बदल जाता है l यदि यह नजरिया सीधा -सादा होगा तो फिर ज्यादा झूठ बोलने की जरुरत नहीं होगी , झगड़ा नहीं होगा , कुछ चुराने , छिपाने की जरुरत नहीं होगी , फिर जीवन में दूसरों से आगे निकलने या महत्वाकांक्षा वश कुछ पा लेने की होड़ में शामिल होने की जरुरत भी महसूस नहीं होगी l संसार में बाहरी आकर्षण का प्रभाव इतना अधिक है कि लोग सादगी को जीवन में उतार ही नहीं पाते l आचार्य श्री कहते हैं --- सादगी से भरा जीवन जीने वाले लोग अपनी जरूरतें नहीं बढ़ाते और वही खरीदते हैं जिसकी उन्हें जरुरत होती है l वे भविष्य की परवाह तो करते हैं लेकिन अपने वर्तमान को भरपूर आनंद के साथ जीते हैं l ऐसे लोग सच्चाई के करीब होते हैं और उनके निर्णय भी समझदारी पूर्ण होते हैं l स्वयं पर महत्वाकांक्षाओं को हावी नहीं होने देते l इस तरह सादा जीवन व्यक्ति को मानसिक शांति और स्वास्थ्य की अमूल्य संपदा प्रदान करता है l
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