4 July 2024

WISDOM -----

   ऋषि  भूरिश्रवा   के  गुरुकुल  में  तपोधन  नामक  शिष्य  रहा  करता  था  l  वह  अत्यंत  मेधावी  था  और  ज्ञान  के  कारण  प्राप्त  प्रसिद्धि  से  उसे  बहुत  अहंकार  हो  गया  था  l  एक  दिन  वह  नदी  के  किनारे  भ्रमण  के  लिए  निकला   तो  उसने  देखा  कि   उसके  गुरु  ऋषि  भूरिश्रवा  नदी  पर  चलते  हुए  आ  रहे  हैं  l  उसे  बड़ा  आश्चर्य  हुआ  कि  आखिर  ऐसी  कौन  सी  विद्या  है  ,  जिसके  बल  पर   ऋषिवर  नदी  पर  चल  सकते  हैं   और  उन्होंने  उसे  यह  विद्या  नहीं  सिखाई  l  इसी  उधेड़बुन  में  वह  ऋषि  के  पास  पहुंचा   और  उनसे  यह  प्रश्न  किया  l  ऋषि  भूरिश्रवा  बोले  ---- " पुत्र  !  यह  विद्या  का  बल  नहीं  , भक्ति   की  सामर्थ्य  है  l  तुम  भी  सच्ची  भावना  से  प्रभु  का  नाम  लो   तो  नदी  पार  पहुँच  जाओगे  l  "  तपोधन  ने  भी  नदी  के  किनारे  खड़े  होकर  प्रभु  का  नाम  लिया  ,  पर  जैसे  ही  वह  नदी  पर  चला  ,  पानी  में  गिर  पड़ा  l  क्षुब्ध  होकर  वह  ऋषिवर  के  पास  गया   और  उनसे  शिकायत  की  कि  उनका  दिया  मन्त्र  प्रभावहीन  रहा  l  ऋषि  ने  प्रश्न  किया  ---- " वत्स  !  तुमने  कितनी  बार  भगवान  का  नाम  लिया  था  ? "   तपोधन  बोला ---- " गुरुदेव  !  मैंने   कम -से -कम  24000  बार  तो  उनका  नाम  जपा  होगा   l "  यह  सुनकर  ऋषि  भूरिश्रवा  बोले ----- " पुत्र  !  यहीं  तुमसे  गलती  हो  गई  l  भक्ति  भावना  का  बल  मांगती  है  , संख्या  का  नहीं  l  इस  बार  भावनाओं  को  अर्पित  करो  ,  जप  करने  के  अहंकार  को  नहीं  l  गिनतियों  का  अहंकार  डूबेगा  , तभी  अंतर्मन  में   भक्ति  का  उदय  होगा  l  "  तपोधन  उसी  दिन  से  सच्चे  भाव  से  परमात्मा  की  भक्ति  में  जुट  गया   और  एक  दिन  अपने  गुरु  की  तरह  महान  भक्तों  की  श्रेणी  में  सम्मिलित  हुआ  l  

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