25 December 2024

WISDOM -------

     यह  संसार  कर्मभूमि  है  l   यदि  हमें   विधाता  के  बनाए  इस  कर्म विधान  को  समझना  है  तो   ' महाभारत ' का  अध्ययन -मनन  अवश्य  करना  चाहिए  l   हम  सबसे  जाने -अनजाने  अनेक  गलतियाँ  हो  ही  जातीं  हैं   उनके  परिणाम स्वरुप   जीवन  में  सुख -दुःख  आते  रहते  हैं  और  जीवन  अपनी  गति  से  चलता  रहता  है  l  लेकिन  जो  अपराध  सोच -समझकर  ,  योजनाबद्ध  तरीके  से  , षड्यंत्र  रचकर , धोखा  देकर   किए  जाते  हैं  ,  उन  अपराधों  की  कोई  क्षमा  नहीं  मिलती   और  वैसे  भी  प्रकृति  में  क्षमा  का  प्रावधान  नहीं  है  l   दुर्योधन  आदि  कौरवों  ने  बचपन  से  ही  पांडवों  के  विरुद्ध  अनेक  षड्यंत्र  रचे , हर  पल  उन्हें  अपमानित  किया  ,  उनका  हक   छीना  ,  चौसर  के  खेल  में  छल  से  पांडवों  को  पराजित  कर   द्रोपदी  को  अपमानित  किया  l  अत्याचार  की  अति   हो  गई  l  इस  अति  का  अंत  तो  होना  ही  था  l  पांडवों  ने  अपने  जीवन  की  डोर   भगवान  श्रीकृष्ण  के  हाथ  में  सौंप  दी  l   ईश्वर  की  प्रेरणा  से  ही  महाभारत  का  महायुद्ध   रचा  गया  ,  कौरव  वंश  समूल  नष्ट  हो  गया  l  जिसने  भी  कौरवों  का  साथ  दिया  ,  उन  सबका  अंत  हो  गया  l  कहते  हैं  जो  कुछ  महाभारत  में  है  , वही  इस  धरती  पर  है  l  परिवारों  में  , संस्थाओं  में  , समूचे  संसार   में  --- जहाँ  कहीं  भी  अशांति  है  , वहां  उसके  पीछे   किसी  न  किसी  का  अहंकार  है  l  रावण  , दुर्योधन  और  उनके  जैसा  कोई  भी  अहंकारी  हो   उसके  पास  बाहरी  सुख -वैभव  अवश्य   होता  है   लेकिन  उनके  मन  में  शांति  नहीं  होती  l अपने  अहंकार  के  पोषण  के  लिए  उनके  भीतर  एक  आग  सी  जलती  रहती  है  l  अब  वो  महाभारत  का  युग  बीत  गया  l  अब  जरुरी  है  कि   मनुष्य  का  विवेक  जागे  l  इतनी  हाय -तौबा  किस  लिए  ?  यदि  मन  की  शांति  नहीं  है   तो  सुख -वैभव  का  यह  दिखावा  किस  लिए  ?   ईश्वर  ने  हमें   चयन  की  स्वतंत्रता   दी  है  ,  यह  निर्णय  हमें  ही  करना  है  कि   हम   कौरवों  के  मार्ग  पर  चलें  या  पांडवों  की  तरह  सत्य  और  धर्म  के  मार्ग  पर  चलें  l    मार्ग   तो  दोनों  ही  कठिन  हैं  ,  अंतर  केवल   इतना  है  कि  सत्य  और  धर्म  के  मार्ग  पर  चलने  से  ईश्वर  की  प्रत्यक्ष   कृपा  का  लाभ  मिल  जाता  है  l  



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