विज्ञान ने हमें सुख - सुविधा के अनेकों साधन दिए हैं लेकिन विज्ञानं के पास वो तकनीक नहीं है जो मनुष्य को शांति और आनंद दे सके l संसार में अनेक लोग ऐसे हैं जिनके पास शक्ति है , पद , प्रतिष्ठा , सुख -वैभव , भोग -विलास के सब साधन हैं लेकिन उनके मन में शांति नहीं है , जीवन में आनन्द नहीं है l शांति और आनंद के अभाव में व्यक्ति जितने बड़े क्षेत्र को प्रभावित करने की क्षमता रखता है उतने क्षेत्र में अशांति को फैलाता है l मानव जाति के इतिहास में युद्ध और रक्तपात का हिस्सा सबसे अधिक है जो मनुष्यों के अशांत मन का ही परिणाम है l बाहरी शांति के लिए भीतर से शांत होना बहुत जरुरी है लेकिन इस महत्वपूर्ण तथ्य पर कभी ध्यान ही नहीं दिया गया l जीवन में संतुलन जरुरी है l एक पक्षीय विकास में विनाश के बीज विद्यमान होते हैं , बुद्धि बेलगाम हो जाती है , मनुष्य स्वयं ही अपने पतन के मार्ग पर चल देता है l
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