'जीवन ऊर्जा का महासागर है | एक लघु बीज है---असीम संभावनाओं का | जीवन की सफलता और सार्थकता तो अनंतता को पाने में है | बीज जब वृक्ष बनकर फूलों से खिले, उसकी सुगंध मुक्त आकाश में बिखरे , वही परितृप्ति है, पूर्णता है |
रोम्या रोलां दमे के रोगी थे | उन्होंने समस्त प्रतिकूलताओं से तालमेल बिठाते हुए अपने अंदर की रचनात्मकता विकसित की | उन्हें साहित्य के लिये 1944 में नोबेल पुरस्कार भी मिला | महात्मा गांधी, स्वामी विवेकानंद, सभी की जीवनियाँ उन्होंने लिखकर पूर्व को पश्चिम में पहुँचाया | यह सब उन्होंने अपनी शारीरिक तकलीफ के बावजूद किया | उन्होंने स्वयं को विराट के प्रति खोला | जो ऐसा करता है, उसके लिये अनंत ऊर्जा के द्वार खुल जाते हैं |
रोम्या रोलां दमे के रोगी थे | उन्होंने समस्त प्रतिकूलताओं से तालमेल बिठाते हुए अपने अंदर की रचनात्मकता विकसित की | उन्हें साहित्य के लिये 1944 में नोबेल पुरस्कार भी मिला | महात्मा गांधी, स्वामी विवेकानंद, सभी की जीवनियाँ उन्होंने लिखकर पूर्व को पश्चिम में पहुँचाया | यह सब उन्होंने अपनी शारीरिक तकलीफ के बावजूद किया | उन्होंने स्वयं को विराट के प्रति खोला | जो ऐसा करता है, उसके लिये अनंत ऊर्जा के द्वार खुल जाते हैं |
v nice..
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