7 January 2025

WISDOM -------

   एक  दिन  देवलोक  से  विशेष  विज्ञप्ति  निकाली  गई  ---- " अमुक  दिन  सभी  चित्रगुप्त  से  अपनी  असुंदर  वस्तुओं  के  बदले   सुंदर  वस्तुएं  प्राप्त  कर सकते  हैं  l  शर्त  यही  है  कि  वह  विधाता   की  सत्ता  में  विश्वास  रखता   हो  l "   निश्चित  तिथि  पर  तीनों  लोकों  के  निवासी  अपनी -अपनी  असुंदर  वस्तुएं  लेकर  देवलोक  पहुँच  गए  l  विधाता  ने   दिव्य  द्रष्टि  से  देखा  कि  सब  आए  या  नहीं  l  उनने  देखा  कि  सब  तो  आ  गए  ,  केवल  पृथ्वी लोक  पर  एक  मनुष्य   अपने  आनंद  में   है  l  विधाता  ने  पूछा  ---- "  भाई  !  तुम  चित्रगुप्त  के  पास   अपनी  असुंदर  वस्तुएं   परिवर्तित  करने  क्यों  नहीं  गए  ? "  वह  व्यक्ति  बोला  ---- " भगवान  की  बनाई  इस  स्रष्टि  के  कण -कण  में  वही  तो  व्याप्त  है  ,  फिर  जबकि  प्रत्येक  कण  में   वही  है  ,  तो  कहीं  भी  असुन्दरता  कैसे  हो  सकती  है  ?  मुझे  तो  इस  स्रष्टि  का  कण -कण  सुंदर  दिखाई  पड़ता  है  l "  विधाता  मुस्कराए  और  चित्रगुप्त   से  बोले  ---- "  वस्तुतः  यही   वह  व्यक्ति   जो  विधाता   की  सत्ता में  विश्वास  रखता  है  l  जो   स्रष्टि  को  इसके  समग्र   रूप  में  स्वीकार  करता  है  ,  उसके  लिए  सौन्दर्य  और  कुरूपता  का  भेद  नहीं  रह  जाता  l "   विधाता  की  कृपा  भी  उसी  मनुष्य  को  प्राप्त  हुई  है  l  

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