29 August 2025

WISDOM -----

संसार  में  जितने  भी  लोकसेवा  के  कार्य  होते  हैं  , उनकी  सार्थकता   वह  कार्य  करने  वाले  की  भावनाओं  में  निहित  है  l   लोक  कल्याण  के  पीछे  निहित  भावना   व्यक्ति  के  अंतर्मन  में  होती  है   लेकिन  वह   परिवार  और  समाज  को   बड़ी  गहराई  से  प्रभावित  करती  है  l   कलियुग  में  समाज  सेवा  , दया , करुणा  का  रूप  कैसा  है  ?  ---एक  कथा  है  ----- एक  सेठ  धार्मिक  प्रवृत्ति  का   और  समाज  सेवी  था  ,  उसने  शिक्षा  के  साथ  संस्कार  देने  के  लिए  एक  स्कूल  खोला  l  उसमें  बच्चों  को  शिक्षा  के  साथ  नियमित  सद्गुणों  की  शिक्षा  भी  दी  जाती  थी  ,  बच्चों  को  सिखाया  जाता  था  कि  सत्य  बोलो , नियमित  दया  का  कोई  कार्य  अवश्य  करो  -------,  सेठ जी  कभी -कभी  स्कूल  का  निरीक्षण  और  बच्चों  से  वार्तालाप  भी  करते  थे  l  इस  क्रम  में  एक  दिन  उन्होंने  बच्चों  से  पूछा   कि  इस  महीने  कुछ  दया  के  काम  किए  हों  तो  हाथ  उठायें  l  तीन  लड़कों  ने  हाथ  उठाए  l  सेठ जी  बड़े  प्रसन्न  हुए  ,  उन्होंने  पूछा  --अच्छा  बताओ  तुमने  क्या -क्या  दयालुता  के  कार्य  किए  ?  पहले  लड़के  ने  कहा  --- " एक  जर्जर  बुढ़िया  को  मैंने  हाथ  पकड़  के  सड़क  पार  कराई  l "  सेठ  ने  उसकी  प्रशंसा  की  l  दूसरे  लड़के  से  पूछा  ,  तो  उसने  भी  कहा  ---- "  एक  बुढ़िया  को  सड़क  पार  कराई  l "  उसको  भी  शाबाशी  दी  l  अब  तीसरे  से  पूछा  तो  उसने  भी  बुढ़िया  को  सड़क  पार  कराने  की  बात  कही  l  अब  तो  सेठ  को  और  साथ  में  जो  शिक्षक  थे  उन्हें  बड़ा  आश्चर्य  और  संदेह  हुआ  l   उन्होंने  पूछा  -बच्चों  कहीं  तुमने  एक  ही  बुढ़िया  का  हाथ  पकड़कर  सड़क  पार   कराई  थी  l  बच्चे  मन  के  सच्चे  होते  हैं  l  उन्होंने  कहा--- हाँ  ,  ऐसा  ही  है  l   सेठ  ने  फिर  पूछा  --- एक  ही  बुढ़िया  को  सड़क  पार  कराने  तुम  तीन  को  क्यों  जाना  पड़ा  l  उन  लड़कों  ने  कहा  ---"  हमने  उस  बुढ़िया  से  कहा  ,  हमें  दया -धर्म  का  पालन  करना  है   चलो  हम  हाथ  पकड़कर  तुम्हे    सड़क  पार  कराएँगे  l   बुढ़िया  इसके  लिए  राजी  नहीं  हुई  , उसने  कहा  मुझे  तो   पटरी  के  इसी   किनारे  पर  जाना  है  , सड़क  पार  करने  की  आवश्यकता  नहीं  है  l  l  इस  पर  हम  तीनो  ने  उस  जर्जर  बुढ़िया  को  कसकर  पकड़  लिया   और  उसका  हाथ  पकड़कर  घसीटते  ले  गए   और  सड़क  पार  करा  के  ही  माने  l "   सेठ  ने  अपना  सिर  पकड़  लिया  ,  वो  क्या  कहता  बच्चों  को   !  लोकसेवा  की  सच्चाई  तो  उसे  बहुत  अच्छे  से  मालूम  थी  l  

No comments:

Post a Comment