लिंकन निष्ठा की मूर्ति थे । वे आदर्श के लिए जिये और उसी के लिए मर गये । वे अपने पैरों खड़े हुए , आप ही उठे , आगे बढ़े और वहां तक पहुंचे , जहाँ तक पहुँचना उनकी स्थिति के लोग असंभव मानते हैं । निरंतर की प्रयत्नशीलता , सच्चाई और निर्धारित लक्ष्य के प्रति निष्ठा ऐसे सद्गुण हैं जो मनुष्य को कहीं - से - कहीं ले पहुँचते हैं । '
एक बार फौज से 24 जवान सेना सेना छोड़कर भाग निकले । पकड़े जाने पर कोर्टमार्शल ने उन्हें गोली से उड़ाने का हुक्म दिया । लिंकन को जब यह बात मालूम हुई तो उन्होंने मृत्यु दंड को रोका और कहा ---- " अमेरिका में पहले ही दुःख के आँसू बहाने वाली विधवाएं बहुत । इन्हें मारकर जमीन में गाढ़ देने की अपेक्षा यह अच्छा है कि इन्हें जमीन के ऊपर रहने और काम करने दिया जाये । दूसरी बार जब वे फिर राष्ट्रपति चुने गये तो पद ग्रहण करते समय उन्होंने कहा ----
" हमें किसी के प्रति द्वेष नहीं रखना चाहिए । उदारता ही मनुष्य की सबसे बड़ी विशेषता है । हम संकीर्ण नहीं दूरदर्शी बने और सबके दुःख को अपना दुःख माने । "
एक बार फौज से 24 जवान सेना सेना छोड़कर भाग निकले । पकड़े जाने पर कोर्टमार्शल ने उन्हें गोली से उड़ाने का हुक्म दिया । लिंकन को जब यह बात मालूम हुई तो उन्होंने मृत्यु दंड को रोका और कहा ---- " अमेरिका में पहले ही दुःख के आँसू बहाने वाली विधवाएं बहुत । इन्हें मारकर जमीन में गाढ़ देने की अपेक्षा यह अच्छा है कि इन्हें जमीन के ऊपर रहने और काम करने दिया जाये । दूसरी बार जब वे फिर राष्ट्रपति चुने गये तो पद ग्रहण करते समय उन्होंने कहा ----
" हमें किसी के प्रति द्वेष नहीं रखना चाहिए । उदारता ही मनुष्य की सबसे बड़ी विशेषता है । हम संकीर्ण नहीं दूरदर्शी बने और सबके दुःख को अपना दुःख माने । "
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