' आगे बढ़ने और ऊँचा उठने की ऐसी अदम्य लालसा थी उनमे कि वे कभी विपत्ति से हारे नहीं , न कभी निराश हुए , अपनी असाधारण मनस्विता के बल पर आगे बढ़ते चले गये और सर्वोदय आन्दोलन के मूर्धन्य नेता हुए |
श्री जय प्रकाश नारायण किशोर ही थे , उनके मन में विदेश जाकर शिक्षा प्राप्त करने की लगन थी लेकिन धन का अभाव था l जैसे - तैसे किराया मात्र जोड़कर केवल मनोबल के सहारे अमेरिका पढ़ने चल दिये l वहां हर चीज इतनी महँगी थी , और उनके पास धन का अभाव था l लेकिन उन्होंने न हिम्मत हारी और न साहस छोड़ा l वहां खेतों पर जाकर काम करना शुरू किया , बगीचे में काम किया , एक बार होटल में झूठी प्लेटे साफ करने का भी काम किया l जो भी परिस्थितियां सामने आयीं , अपने संकल्प बल से जीतीं और जीवन संग्राम में अपने साहस को हारने नहीं दिया | अपने संकल्प बल और असाधारण लगन से वे आगे बढ़ते गये और सर्वोदय आन्दोलन के महान नेता हुए l
No comments:
Post a Comment