अहंकार एक भ्रम है , जो व्यक्ति के अन्दर तब उत्पन्न होता है जब वह स्वयं को शक्तिमान समझने लगता है l व्यक्ति को आगे बढ़ाने वाली शक्ति व प्रेरणा उसे परमात्मा की कृपा से मिलती है , लेकिन जब व्यक्ति सफल होता है तो वह परमात्मा को धन्यवाद देना भूल जाता है और यह सोचता है कि उसी ने सब कुछ किया है l अहंकारी व्यक्ति परमात्मा से दूर हो जाता है l
वह यह मानने लगता है कि यह दुनिया उसी के ईशारों पर चल रही को l
इतिहास में अनेकों व्यक्ति हुए , को बहुत अहंकारी थे पर आज उसका अस्तित्व नहीं है l जसे रावण , कंस , सिकंदर , हिटलर आदि सभी की दुर्गति हुई l अहंकार व्यक्ति की क्षमताओं को कम करता है , उसे कहीं का नहीं छोड़ता है l
वह यह मानने लगता है कि यह दुनिया उसी के ईशारों पर चल रही को l
इतिहास में अनेकों व्यक्ति हुए , को बहुत अहंकारी थे पर आज उसका अस्तित्व नहीं है l जसे रावण , कंस , सिकंदर , हिटलर आदि सभी की दुर्गति हुई l अहंकार व्यक्ति की क्षमताओं को कम करता है , उसे कहीं का नहीं छोड़ता है l
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