वर्तमान युग में भौतिक सुख सुविधाओं की कोई कमी नहीं है लेकिन फिर भी संसार में मनोरोगी बढ़ते जा रहे हैं l इसका कारण है --- सहयोग , सेवा , अपनापन , भावना , संवेदना की कमी l आज हम सुविधा - साधनों के शिखर पर पहुंचकर भी आंतरिक दरिद्रता से ग्रस्त हैं l इस कारण जीवन में हताशा - निराशा आ जाती है l लोग अपना बहुमूल्य जीवन तक गँवा देते हैं l
पहले लोग साधन - सुविधाओं से रहित रेगिस्तान में भी प्रेम पूर्वक रह लेते थे l इसकी वजह थी -- उनकी आंतरिक सम्पदा l परस्पर सहयोग , अपनापन होने से लोग परेशानियों में भी सुकून से रहते थे l पहले लोगों के ह्रदय में छल - कपट नहीं था , लेकिन आज लालच , प्रतियोगिता , ईर्ष्या - द्वेष ने इन गुणों को छीन लिया है इस कारण सारे सुखों के बीच भी व्यक्ति अन्दर से खोखला है l
पहले लोग साधन - सुविधाओं से रहित रेगिस्तान में भी प्रेम पूर्वक रह लेते थे l इसकी वजह थी -- उनकी आंतरिक सम्पदा l परस्पर सहयोग , अपनापन होने से लोग परेशानियों में भी सुकून से रहते थे l पहले लोगों के ह्रदय में छल - कपट नहीं था , लेकिन आज लालच , प्रतियोगिता , ईर्ष्या - द्वेष ने इन गुणों को छीन लिया है इस कारण सारे सुखों के बीच भी व्यक्ति अन्दर से खोखला है l
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